आयुर्वेद के मुताबिक इस बदलाव से जहां शरीर में वात, पित्त, कफ में दोष पैदा होते हैं, वहीं बाहरी वातावरण में रोगाणु। जो अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 17 जुलाई से 25 जुलाई तक रहेगी। समलेश्वरी माता मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताते हैं गुप्त नवरात्रि के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गए संयम और अनुशासन तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं। जिससे इंसान निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है।
साधना करने वालों के लिए विशेष
पं. शुक्ला ने बताया कि चैत व क्वांर नवरात्रि में जहां आम श्रद्धालु नौ दिनों तक शाक्ति स्वरूपा मां की पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं, वहीं अषाढ़ व माघ की गुप्त नवरात्रि साधकों के लिए विशेष फलदायी रहती है। इस नवरात्रि में विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है। नौ दिन तक चलने वाले इस नवरात्रि में शुभ कार्यो के लिए उत्तम है। अषाढ़ मास के नवरात्रि में दूसरे दिन भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है।
रोग और विकारों से मिलती है मुक्ति
धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में प्रमुख रूप से भगवान शंकर व देवी शक्ति की आराधना की जाती है। देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है। दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का। ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं। यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में ध्यान शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है। पंडितों की माने तो गुप्त नवरात्रि में मां के शक्ति स्वरूप की पूजा करने से अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है और लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती होती है।
साल में चार नवरत्रि
(1) अषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू (साधना करने वालों के लिए विशेष)
(2) माघ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू (साधना करने वालों के लिए विशेष)
(3) चैत नवरात्रि ( पंडाल में मां की प्रतिमा स्थापना के साथ दुर्गा पूजा)
(4) क्वांर नवरात्रि(ज्योत कलश स्थापना के साथ मां की विशेष आराधना)