
रहाणे को अंतिम एकादश में शामिल किए जाने पर जानकार जितने हैरान थे उससे कहीं ज्यादा हैरान रहाणे को कोहली से ऊपर तीसरे क्रम पर भेजने से थे। टीम की घोषणा के वक्त रहाणे के लिए चौथा क्रम निर्धारित हुआ था। जिस वक्त शिखर धवन आउट हुए थे उस समय भारत ने 42 रन बनाए थे और रोहित अच्छा खेल रहे थे, ऎसे में रहाणे से अधिक प्रतिभाशाली कोहली को रोकना और रहाणे को भेजना सबको हैरान करता है।

कप्तान ने यह भी कहा था कि रहाणे को चौथे या फिर उससे नीच के क्रम पर खिलाना उनकी तौहीनी होगी क्योंकि वह सभाविक तौर पर ऊपर के क्रण के खिलाड़ी हैं। ऎसे में उनका कानपुर में खेल पाना सम्भव नहीं दिख रहा। मीडिया ने अगले दिन इस खबर को प्रमुखता दी थी और साथ ही यह मान लिया था कि रहाणे कानपुर में अंतिम एकादश का हिस्सा नहीं होंगे।

दर्शक बीच-बीच में “कोहली-कोहली” का नारा भी लगाते। इस बीच कुछ मौकों पर धोनी ने उन्हें स्थान परिवर्तित करने के लिए इशारा भी किया, लेकिन कोहली ने उसे अधिक गम्भीरता से नहीं लिया। वह अपने लिए जनमत संग्रह करने में जुटे रहे। मैच के बाद धोनी ने इसकी भरपाई कोहली की खिंचाई करके की। नाम न लेते हुए धोनी ने कहा कि हमें 35 ओवरों के आसपास तेजी से रन बनाने चाहिए थे।

बतौर टेस्ट कप्तान कोहली ने रहाणे को हर मैच में खिलाया और रहाणे ने भी कप्तान की उम्मीदों को जिया। वह तीनों फॉरमेंट के सफल खिलाड़ी हैं। ऎसे में न जाने धोनी ने रहाणे को लेकर अजीबोगरीब बयान क्यों दिया। जानकार मानते हैं कि ऎसा करते हुए वह रहाणे को बाहर और अपने “चहेते” खिलाडियों को अंदर रखना चाहते थे।
कानपुर में रहाणे को टीम में शामिल करना धोनी की विस्तृत सोच और टीम हित में लिया गया फैसला लगा था लेकिन यह कुछ और ही निकला। असल बात यह है कि मैच पूर्व संध्या पर टीम प्रबंधन की बैठक में टीम निदेशक रवि शास्त्री ने धोनी से रहाणे को टीम में शामिल करने को कहा क्योेंकि वह अच्छे फार्म में हैं। धोनी ने असमर्थता जताई लेकिन इस शर्त पर मान गए कि कोहली को नम्बर-4 पर जाना होगा। कोहली थोड़े ना-नुकुर के बाद इस पर मान गए लेकिन मैदान में उनका बल्ला रूठ गया।