नई दिल्ली. छोटी-छोटी रकम जमा करके बड़े सपने देखने वाले निवेशकों के लिए बुरी खबर है। ईपीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर में कटौती के बाद पीपीएफ और अन्य स्मॉल सेविंग्स स्कीम पर मिलने वाली ब्याज दरों में भी कमी की जा सकती है। गोपीनाथ कमेटी ने अपने फॉर्मूले में इसकी सिफारिश की है। कमेटी ने इन सेविग स्कीम की ब्याज दरों को सरकार के बांड से मिलने वाले रिटर्न से जोडऩे का सुझाव दिया है। अगर सरकार कमेटी की सिफारिशों को मान लेती है तो पीपीएफ की दर में एक फीसदी तक की कमी आ सकती है। फिलहाल इस पर ८ फीसदी ब्याज दर मिलती है।
बांड से अधिक है पीपीएफ रिटर्न
गोपीनाथ पैनल के अनुसार, स्कॉल सेविंग्स स्कीम्स पर मिलने वाली ब्याज दरें इसी मैच्युरिटी के सरकारी बांड से मिलने वाली रिटर्न से थोड़ी अधिक है। पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज औसतन १० साल के सरकारी बांड पर मिलने वाले रिटर्न से २५ बेसिस प्वाइंट अधिक है। १० साल के सरकारी बांड पर मिलने वाला रिटर्न कम होकर ६.५ फीसदी हो गया है और पिछले तीन महीनों के दौरान कुल मिलाकर ७ फीसदी से कम ही रहा है। ऐसे में संभावना बन रही है कि पीपीएफ रेट भी जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान कम होकर ७ फीसदी के आसपास आ सकती है।
एक्सपर्ट को कम कटौती की उम्मीद
हालांकि टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन ने पत्रिका को बताया कि सरकार इतनी अधिक कटौती शायद ही कर सकती है। खासकर तब जब नोटबंदी के कारण पहले से लोग परेशान हैं। सच यह भी है कि सरकार ने अभी तक गोपीनाथ फॉर्मूले को ठंडे बस्ते में डाल रखा है। ऐसे में माना जा रहा है कि पीपीएफ रेट में २०-२५ बेसिस प्वाइंट की ही कटौती की जा सकती है। हालांकि यह भी सच है कि अगर सरकार राजनीतिक रूप से संवेदनशील पीएफ रेट में कमी कर सकती है तो पीपीएफ रेट में कटौती तो और अधिक संभव है।
कमी के बावजूद लाभकारी होगा पीपीएफ
पीपीएफ रेट में कटौती के बावजूद इस पर मिलने वाला रिटर्न बैंक डिपोजिट्स और कॉरपोरेट एफडी से अधिक होगा। बैंको ंने डिपोजिट रेट्स को कम करके ७-७.५ फीसदी कर दिया है और इस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स भी लगता है। जबकि पीपीएफ टैक्स मुक्त है।
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