छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर कम हो रही है। ऐसे में निवेशक अधिक रिटर्न पाने के लिए इक्विटी की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जोरदार रिटर्न की चाह में अक्सर निवेशक यह भूल जातेे हैं कि जहां ज्यादा रिटर्न मिलता है, वहां जोखिम भी अधिक होता है। ऐसे में कई दफा निवेशकों को मार्केट में उतार-चढ़ाव आने पर बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है। हालांकि, कुछ जानकारी हासिल कर अगर लंबे समय के लिए इक्विटी में निवेश किया जाए तो जोखिम कम करने के साथ ही बेहतर रिटर्न भी मिल सकता है।
इस तरह करें जोखिम को कम
हमेशा इक्विटी में छोटी अवधि के लिए किया हुआ निवेश ज्यादा जोखिम से भरा होता है। इससे बचने के लिए जब भी इक्विटी में निवेश का प्लान बनाएं तो लंबी अवधि के लिए निवेश करें। इतिहास गवाह है कि इक्विटी में लंबी अवधि में किए हुए निवेश सबसे अधिक लाभ देते हैं। इसको ऐसे समझ सकते हैं। अगर आप बाजार का चार्ट देखें तो छोटी अवधि में उतार-चढ़ाव रहने के बावजूद लंबी अवधि के लिए रिटर्न हमेशा सकारात्मक रहा है। इसलिए लंबी अवधि के लिए निवेश पर नुकसान होने की संभावना न के बराबर होती है।
म्युचुअल फंड सबसे बढिय़ा जरिया
अगर आप शेयर बाजार को अच्छी तरह नहीं समझते हैं तो निवेश के लिए म्युुचुअल फंड का रास्ता अख्तियार करें। ध्यान रखिए कि सीधे तौर पर इक्विटी में निवेश करना न केवल जटिल है, बल्कि इसकी लागत भी अधिक होती है। शेयर बाजार में सीधे निवेश करने से पहले निवेशकों को कई बातों, जैसे किसी शेयर का प्रदर्शन बुरा चल रहा है या अच्छा, डी-लिस्टिंग आदि का ध्यान रखना होता है। इसके अलावा, कुछ शेयरों की कीमतें बहुत अधिक होती हैं। इस वजह से भी कई निवेशक ऐसे शेयरों की खरीदारी नहीं कर पाते। इसलिए छोटे और खुदरा निवेशकों के लिए सबसे अच्छा जरिया म्युचुअल फंड्स हैं। इसके कई और भी लाभ हंै- जैसे डाइवर्सिफिकेशन यानी आप कई फंडों में निवेश करके जोखिम को कम कर देते हैं। इसके अलावा म्युचुअल फंडों का प्रबंधन पेशेवर लोगों द्वारा किया जाता है, जिससे निवेशकों का पैसा ज्यादा सुरक्षित रहता है। इसके अलावा म्युुचुअल फंड के रास्ते आप कम पैसों के निवेश की सुविधा, कर-सक्षमता और शेयर बाजार की दैनिक गतिविधियों को ट्रैक करने से भी राहत प्राप्त कर लेते हैं।
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