नई दिल्ली. सरकार प्रस्तावित जीएसटी के तहत कीमतों पर निगरानी रखने वाली व्यवस्था बनाने पर विचार कर रही है। ताकि इस बड़े आर्थिक सुधार के लाभ मिल सके और कीमतों में बेवजह इजाफा ना हो। राज्य यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जीएसटी के असर से मांग को बढ़ावा मिले। इसी हफ्ते जीएसटी काउंसिल की बैठक भी होनी है, जिसमें टैक्स रेट, छूट आदि समेत कई प्रावधानों को अंतिम रूप दिया जाना है।
जीएसटी से बढ़ सकती है जीडीपी ग्रोथ रेट
सरकार 1 अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करना चाहती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जीएसटी लागू होने से जीडीपी ग्रोथ रेट में दो फीसदी का इजाफा हो सकता है। जीएसटी से कंपनियों की लॉजिस्टिक्स और टैक्स लागत में कमी आएगी। सरकार जीएसटी लागू होने की स्थिति में टैक्स पर इनपुट क्रेडिट की सुविधा पाने वाली कंपनियों की मुनाफाखोरी पर नकेल कसे रखना चाहती है। इस मुद्दे पर जीएसटी काउंसिल के सदस्य (राज्यों के वित्त मंत्री) चिंता जाहिर कर चुके हैं।
प्राइस मॉनिटरिंग सिस्टम की मजबूती जरूरी
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक यदि प्राइस मॉनिटरिंग सिस्टम को कानूनी मजबूती नहीं दी गई तो इसका ठीक से क्रियान्वयन मुश्किल है। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि जीएसटी रेट ज्यादा न हो और क्रेडिट सिस्टम अच्छी तरह काम करे। कुछ देशों में जीएसटी लागू होने पर महंगाई बढ़ी थी। सरकार, भारत में ऐसी स्थिति नहीं बनने देना चाहती है और वह कम टैक्स रेट से शुरुआत करना चाहती है। अरविंद सुब्रमण्यन कमेटी ने ज्यादातर गुड्स के लिए 18 फीसदी स्टैंडर्ड जीएसटी रेट की सिफारिश की है। उसने रेवेन्यू न्यूट्रल रेट 15-15.5 फीसदी होने का अनुमान लगाया है।
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