लंदन. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत के बैंकिग क्षेत्र की नकारात्मक रेेटिंग बरकरार रखते हुए मंगलवार को कहा कि पर्याप्त पूंजी के बिना इस क्षेत्र की वित्तीय स्थिति डांवाडोल ही बनी रहेगी। फिच का कहना है कि पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट पर प्रतिबंध लगाने से बैंकों में जमा राशि बढ़ेगी, जिससे कर्जदार कम ब्याज दर पर ऋण ले पाएंंगे और बैंकों की पूंजी लागत कम हो जाएगी।
रेंटिग एजेंसी ने साथ ही यह भी कहा है कि नोटबंदी से बैंकिग क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका ठीक-ठीक अनुमान लगाना संभव नहीं है, क्योंकि बैंकों के वे कर्जदार जो नकदी पर निर्भर होंगे, वे अपना ऋण चुका पाने में असमर्थ हो जाएंगे और इस बीच अन्य लोग अपनी जमाराशि भी निकालते रहेंगे।
नोटबंदी के मिश्रित प्रभाव को देखते हुए एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि भारत का बैंकिग क्षेत्र सरकारी बैंकों में पूंजी की कमी और कमजोर निवेश के कारण दबाव में होगा। रेंटिंंग एजेंसी ने पहले यह कहा था कि ‘बसल 3 बैंकिंग नियमों के अनुसार, भारतीय बैंकों को मार्च 2019 तक लगभग 90 अरब डॉलर पूंजी की जरूरत होगी और इस पूंजी का 80 फीसदी अगले दो वित्त वर्ष में ही जुटाना होगा।
फिच के विश्लेषकों के अनुसार, भारतीय बैंकों को फिलहाल पूंजी की सख्त जरूरत है। रेंटिंग एजेंसी ने साथ ही उम्मीद जताई है कि जोखिम में फंसे ऋण के मामलों में कमी आएगी।
Hindi News / Business / Finance / फिच ने बैंकों की नकारात्मक रेंटिग बरकरार रखी