नई दिल्ली। जीरो बैलेंस पर रिकॉर्ड संख्या में सरकार ने जन-धन खाते तो खोल दिए लेकिन इनमें ट्रांजिक्शन नहीं होना बड़ी समस्या बन गई है। इसी समस्या को लेकर बैंकों पर दबाव है। बताया जाता है कि खातों में ट्रांजिक्शन दिखाने के लिए खुद बैंक पैसा डाल रहे हैं। यह खुलासा हुआ है एक सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए।

आरटीआई से मिली सूचना के मुताबिक 18 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और उनकी 16 क्षेत्रीय शाखाओं में ऐसे 1.05 करोड़ जनधन खाते हैं, जिनमें एक करोड़ रुपये जमा हैं। इसके अलावा कुछ खातों में 2 से 5 रुपये और यहां तक की 10 पैसे भी जमा किए गए हैं।
आंकड़ें दिखाते हैं कि जनधन खातों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ जीरो बैलेंस खातों की संख्या घटी है। 26 अगस्त 2016 को जनधन खातों की संख्या 17.90 करोड़ थी और जीरो बैलेंस खाते 8.40 करोड़ थे। वहीं, 31 अगस्त 2016 को जनधन खातों की संख्या बढ़कर 24.10 करोड़ हुई और जीरो बैलेंस खाते घटकर 5.87 करोड़ हो गए।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक कर्मचारी जीरो बैलेंस अकाउंट्स की संख्या कम करने के लिए जनधन योजना के तहत खुले खातों में एक-एक रुपये जमा करा रहे हैं। बैंकों के ऐसा करने से जीरो बैलेंस अकाउंट्स में तेजी से कमी आई है। सितंबर 2014 में ऐसे खातों की 76 फीसदी थी, जो अगस्त 2015 में सिर्फ 46 फीसदी रह गयी। 31 अगस्त 2016 तक इस योजना के तहत खुले ऐसे खाते सिर्फ 24.35 फीसदी मिले, जिनमें एक भी रुपया नहीं था।

बिहार के बाढ़ जिले में 200 जनधन खातों में एक रुपया जमा है। इनमें से 120 खातों में 9 से 12 अक्टूबर 2015 के बीच ही पैसे जमा हुए हैं। कई बैंकों के अधिकारियों ने दबाव में जीरो खातों में पैसे जमा करने की बात स्वीकारी है।
बैंक अधिकारियों ने माना कि इन खातों को चालू रखने के लिए उन्होंने अपनी जेब से पैसे जमा किए हैं।बहुत सारे खाताधारकों ने अपनी पासबुक में देखा कि खाते में एक रुपया जमा है तो वो भी हैरान थे। उन्होंने पता ही नहीं चला कि एक रुपया उनके खाते में किसने जमा कराया। बता दें कि एक रुपये बैलेंस वाले खातों में सबसे ऊपर पंजाब नेशनल बैंक है। पीएनबी में 1.36 करोड़ जनधन खाते हैं, जिनमें से 39.57 का बैलेंस एक रुपया है।
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