वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) द्वारा छोटी जोत वाले खेतों को ध्यान में रखकर बनाए गए छोटे ट्रैक्टर ‘कृषि शक्ति के लिए दुनिया भर से चार हजार इकाई के लिए ऑर्डर आ चुके हैं, लेकिन इसकी प्रौद्योगिकी खरीदने वाली कंपनी के पास पूंजी की कमी के कारण मैन्युफैक्चरिंग शुरू नहीं हो पाई है।
नई दिल्ली. वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) द्वारा छोटी जोत वाले खेतों को ध्यान में रखकर बनाए गए छोटे ट्रैक्टर ‘कृषि शक्ति के लिए दुनिया भर से चार हजार इकाई के लिए ऑर्डर आ चुके हैं, लेकिन इसकी प्रौद्योगिकी खरीदने वाली कंपनी के पास पूंजी की कमी के कारण मैन्युफैक्चरिंग शुरू नहीं हो पाई है। कृषि शक्ति विकसित करने वाली सीएसआईआर की प्रयोगशाला सेंट्रल मेकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग रिसर्च इंस्टीट््यूट (सीएमईआरआई) ने इसकी तकनीक वर्ष 2014 के आरंभ में ही पश्चिम बंगाल की कंपनी ङ्क्षसघा कंपोनेंट््स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी थी।
संस्थान के निदेशक प्रो. हरीश हिरानी ने बताया कि कंपनी को चार हजार ट्रैक्टर के ऑर्डर मिले हैं। लेकिन, इतनी बड़ी संख्या में उन्हें तैयार करने के लिए कंपनी के पास पूंजी नहीं होने की वजह से अब तक यह बाजार में नहीं आ पाया है। छोटी जोत वाले खेतों में बड़े ट्रैक्टरों से खेती नहीं की जा सकती। देश के कम जमीन वाले बेहद गरीब किसान अब भी आधुनिक तकनीकों से दूर हल से खेती करने को विवश हैं।
उन्हें ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने छोटा ट्रैक्टर बनाया है। यह काफी कम त्रिज्या के साथ घूम सकता है। इस ट्रैक्टर के लिए कंपनी को बांग्लादेश तथा तीसरी दुनिया के अन्य देशों से भी ऑर्डर मिले हैं, जहां आम तौर पर किसानों के पास छोटे-छोटे खेत हैं। सीएमईआरआई के वैज्ञानिकों ने बताया कि कंपनी को पूंजी उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड तथा कुछ निजी एजेंसियों से बात चल रही है तथा उम्मीद है कि फरवरी 2017 तक यह ट्रैक्टर बाजार में दस्तक दे देगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए असेम्बली लाइन भी तैयार हो चुकी है। कीमत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अंतिम कीमत कंपनी को तय करनी है, लेकिन दाम दो लाख रुपए के अंदर ही रहने की संभावना है। उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर के इंजन तथा इसके मूल डिजाइन से छेड़छाड़ किए बिना इसके बाहरी डिजाइन में कुछ बदलाव भी किए गए हैं।
Hindi News / Business / Industry / पूंजी की कमी से नहीं आ पाया ‘छोटा ट्रैक्टर’