इंदौर। आलीशान सेट्स और स्टार कास्ट के चलते सुर्खियों में आई फिल्म बाजीराव मस्तानी की रिलीज रोकने की मांग की गई है। मराठा सल्तनत के महान सेनापति (पेशवा) बाजीराव प्रथम और मस्तानी के चार वंशजों ने गुरुवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए गुहार लगाई कि संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी की 18 दिसंबर को प्रस्तावित रिलीज पर रोक लगाई जाये।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इस फिल्म में उनके पूर्वजों को आपत्तिजनक तौर पर चित्रित कर उनकी प्रतिष्ठा को गहरी ठेस पहुंचाई गई है। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में याचिका दायर करने वाले बाजीराव मस्तानी के चार वंशजों में शामिल अवैज बहादुर (49) ने कहा कि भंसाली की आगामी फिल्म का प्रोमो और गाने के सामने आने के बाद हमें पता चला कि व्यावसायिक फायदा कमाने की नीयत से इस बॉलीवुड शाहकार में ऐतिहासिक तथ्यों से गंभीर छेड़छाड़ की गई है। इस फिल्म के दृश्य हमारे लिये बेहद आपत्तिजनक हैं और इनसे हमारी प्रतिष्ठा को भारी ठेस पहुंच रही है।
अवैज खुद को बाजीराव और मस्तानी की आठवीं पीढ़ी का ‘असली खून बताते हैं। उन्होंने मिसाल देकर कहा कि भंसाली की फिल्म के एक मशहूर गाने ‘पिंगा में बाजीराव की दोनों पत्नियों, काशीबाई और मस्तानी को एक साथ नाचते दिखाया गया है। इस तरह का फिल्मांकन न केवल वास्तविकता से कोसों दूर है, बल्कि इससे बाजीराव मस्तानी के वंशजों के साथ समूचे मराठी समुदाय की प्रतिष्ठा और भावनाएं भी आहत हो रही हैं।
अवैज ने कहा कि भंसाली ने बाजीराव और मस्तानी पर फिल्म बनाने से पहले न तो उनके परिवार से कोई अनुमति ली, न ही उनके वंशजों के इतिहास के बारे में प्रामाणिक जानकारी हासिल करना मुनासिब समझा। बाजीराव और मस्तानी के वंशजों के वकील एनए शेख ने बताया कि उच्च न्यायालय में उनके पक्षकारों की दायर याचिका पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है। इस याचिका में फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की गुहार की गई है। पहले भी कोर्ट जा चुके है कुछ वंशज इसके पहले भी बाजीराव पेशवा और मस्तानी के कुछ वंशज फिल्म को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। तमकीन अली बहादुर और जुनेद अली बहादुर ने फिल्म का प्रदर्शन रोकने के लिए हाइकोर्ट जबलपुर में पिटीशन लगाई थी। लेकिन कोर्ट ने उन्हें सेंसर बोर्ड जाने के निर्देश दिए थे। सेंसर बोर्ड ने वंशजों के पिटीशन का कोई जवाब नहीं दिया।
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