मुंबई।पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में सजा काट रहे अभिनेता संजय दत्त गुरुवार को सुबह रिहा हो गए। पुणे से वो चार्टर्ड प्लेन से करीब 11 बजे मुंबई पहुंचे। यहां वो सबसे पहले सिद्धिविनायक मंदिर गए और बप्पा के दर्शन किए। उसके बाद मरीन लाइन स्थित कब्रिस्तान गए। वहां मां की क्रब पर माथ टेका और प्रार्थना की। इसके बाद संजय दत्त बांद्रा स्थित अपने निवास पहुंचे, जहां उनके फैंस का जमावाड़ा लगा हुआ था। बांद्रा स्थित उनके घर के पास ड्रम बजाने वालों ने ड्रम बजाकर उनका स्वागत किया…लोग वेलकम बैक संजू बाबा के नारे लगा रहे थे। घर में कुछ देर आराम करने के बाद संजय दत्त मीडिया से रूबरू हुए और अपने दिल की बातें साझा कीं।
मैं आजाद हो गया…
संजय दत्त ने कहा कि मैं 23 साल से जिसके लिए तरस रहा था, वह आजादी है। आज वह दिन आ गया है। अभी भी मुझे लग रहा है जैसे मैं पैरोल पर बाहर आया हूं। कुछ दिन लगेंगे मुझे यह समझने में कि मैं आजाद हो गया हूं। संजय ने आगे कहा कि मेरी सभी से एक छोटी-सी प्रार्थना है कि मैं आतंकवादी नहीं हूं, देशभक्त हूं। टाडा कोर्ट से बरी होकर निकला था। मैं आम्र्स एक्ट में दोषी करार हुआ था। कृपया मुझे 1993 बम धमाकों के साथ न जोड़ें।
पिता को किया याद…
संजय ने बताया कि आज मुझे पिताजी की बहुत याद आ रही है। उनकी कमी महूसस हो रही है। यदि वे जिंदा होते, तो वह बहुत खुश होते। संजय ने बताया कि जब कोर्ट ने कहा था कि मैं टेररिस्ट नहीं हूं, तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। मेरे पिता ये सुनना चाहते थे। वे होते, तो बहुत खुश होते।
तिरंगा मेरी जिंदगी…
जेल से बाहर निकलकर तिरंगे को सलाम करने के सवाल पर संजय ने कहा, ये धरती मां मेरी मां है। मैं हिन्दुस्तान की धरती को प्यार करता हूं। तिरंगा मेरी जिंदगी है। मुझे भारत का नागरिक होने पर गर्व है। इसलिए मैं जब बाहर आया, तो मैंने तिरंगे को सलाम किया।
कोई कैदी दोबारा जेल नहीं जाना चाहता…
जेल से बाहर आने की खुशी को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। बस इतना कह सकता हूं कि खुशी इतनी थी कि रातभर नींद नहीं आई और खुुशी के मारे पिछले चार दिन से खाना भी नहीं खया गया। बस, आंखों के सामने रह-रहकर एक सीन आता कि मैं रिहा होकर गेट के बाहर जाऊंगा। मेरा परिवार मेरे साथ होगा। बेटी-बेटी को गले से लगाऊंगा। उनके साथ रहूंगा। हर कैदी को ऐसा महसूस होता है कि मैं कभी यहां वापस नहीं लौटूंगा।
जेल की कमाई पत्नी को दी…
पत्नी के बारे में संजय दत्त ने कहा, मान्यता मेरी पिलर ऑफ स्ट्रैंथ हैं। मैं कभी कमजोर पड़ता हूं, तो वह मजबूती देती हैं। उन्होंने दो बच्चों को पाला और हर मुश्किल निर्णय अकेले लिया। मुझे तो जेल में दाल-रोटी मिल जाती थी। भगवान न करे, जो इन्होंने सहन किया, किसी और के साथ ऐसा हो। जेल में 440 रुपए कमाने के सवाल पर बोले, ये पैसे मेरी जिंदगी में बहुत अहमियत रखते हैं। मैंने जेल में काम किया। पेपर बनाता था, उसके एवज में मुझे पैसे मिलते थे। मैंने वहां जो भी कमाए, एक अच्छे पति होने के नाते पत्नी को दे दिए हैं।
बता दें कि संजय के प्रशंसकों और शुभचिंतकों ने अलग-अलग तरह के जश्न का आयोजन किया। दक्षिण मुंबई के नूर मोहम्मद होटल ने मुफ्त चिकन संजू बाबा व बांद्रा के भाईजान रेस्तरां ने सभी पकवानों पर 50 फीसदी की छूट रखी। ऑटो चालक संदीप बाश्चे ने अपने पसंदीदा अभिनेता की रिहाई की खुशी में बांद्रा में मुफ्त में सफर कराया।
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