बिलासपुर. रविवार शाम को फिर एक मां ने अपने बच्चे को 102 संजीवन एक्सप्रेस में जन्म दिया। नवजात शिशु को बचाने के लिए एम्बूलेंस चालक ने एक डॉक्टर की भांति बच्चे के मुंह में आक्सीजन देकर उसकी जान बचाई। फिलहाल जच्चा-बच्चा देानों स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।
घटना कोटा और बेलगहना के मध्य ग्राम लालपुर की है। संजीवनी के चालक धनेश्वर यादव और नेतराम यादव ने बताया कि रविवार की शाम 5 बजे मरवाही निवासी गर्भवती महिला राजकुमारी पति गंगाराम (19) को दोनों अपने वाहन क्रमांक सीजी-02-5569 में डिलवरी के लिए सिम्स ला रहे थे। दर्द अधिक होने के कारण राजकुमारी ने बच्चे को चलती संजीवनी गाड़ी में ही जन्म दे दिया। जन्म के बाद बच्चे के शरीर में कोई प्रतिक्रिया नही हुई। जिससे परिजन काफी परेशान हो गए। उन्होंने इसकी जानकारी 102 के चालक को दी।
संजीवन के चालकों ने बच्चे को अपने मुंह से सांस दिए देकर पेट व पीठ थपथपाई। लेकिन कोई प्रतिक्रिया न होने के कारण उन्होंने बच्चे के शरीर की संपूर्ण जांच की। जांच में पाया गया कि बच्चे की सांस चल रही है। चालक ने तुरंत अपने मुंह से बच्चे के मुंह में सांस फूंकने की कोशिश की। जिससे बच्चे ने प्रतिक्रिया देनी शुरु कर दी। जिसे तत्काल रास्ते में कोटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया। जहां जच्चा-बच्चा दोनों का इलाज चल रहा है।
महतारी एक्सप्रेस में जरुरी सामग्री का अभाव : शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के दूर-दराज गांवों में आवागमन का साधन नहीं है। जिसके कारण गर्भवती महिलाओं के परिजनों को हास्पिटल लाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान कई महिलाएं बीच रास्ते में ही दम तोड़ देती है। इस समस्या के समाधान के लिए राज्य शासन ने संजीवनी 102 का संचालन प्रारंभ किया था। जिसमें आक्सीजन सहित अन्य जरुरी सामग्री की व्यवस्था होती है। लेकिन अधिकांश एम्बूलेंस में जरुरी सामग्रियों का अभाव है। जिसके कारण गर्भवती महिलाओं का सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
सिम्स में किया जाता है रिफर : संजीवन के चालक ने बताया कि दूर-दराज से गर्भवती महिलाओं को जब नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में ले जाया जाता है तो उन्हें सिम्स ले जाने की बात कहकर वापस कर दिया जाता है। वहीं जिला अस्पताल ले जाने पर सीधा सिम्स रिफर कर दिया जाता है। जिसके कारण नवजात व महिलाओं को जान का खतरा बना रहता है।