भोपाल। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 में बेटियों के साथ छेड़छाड़ के मामले ज्यादा दर्ज हुए। स्याह रंग की इस तस्वीर का एक रंग चटख भी है। बेटियों ने मनचलों को जवाब देना सीख लिया है। अपना हक-अधिकार समझ लिया है। बेटियों ने बेजा हरकत करने वालों को सबक सिखाने की हिम्मत बांधी है।
छेड़छाड़ होने पर पुलिस तक शिकायत करने का सिलसिला बढ़ा है। पुलिस भी कबूल करती है कि बीते बरस तमाम मौखिक शिकायतें मिलीं, लेकिन केस रजिस्टर्ड कराने से परहेज किया गया।
केस
आखिरकार एक दिन मैने उस लड़के को जमकर डांटा, इसके बाद वो कभी दिखाई नहीं दिया। इसी तरह एआरआरई ग्लोबल डिस्कवरी स्कूल की छात्रा रश्मि परिहार (परिवर्तित नाम) ने बार बार टच करने पर ट्यूशन टीचर को एेसा न करने की हिदायत दी बल्कि माता पिता से भी शिकायत की ।
खुलकर करती हैं बात
बंसल अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी के मुताबिक उनके पास कई एेसे मामले आते हैं जो खुलकर अपने साथ हुए मामलों पर खुलकर बात करती हैं। कुछ साल पहले तक छेड़छाड़ के चलते डिप्रेशन औन अन्य समस्याओं के मामले होते भी थे तो डॉक्टर के पास तक नहीं पहुंचते थे। अब लड़कियां इस समस्या से निपटने के तरीकों पर भी हमसे बात करती हैं।
बेटियां बनीं निर्भीक
बीते दिनों पत्रिका के निर्भीक बचपन अभियान के दौरान करीब 1000 बेटियों से सवाल पूछा गया था कि छेड़छाड़ होने पर क्या करेंगी। जवाब में अधिकांश ने मोर्चा लेने की बात कही। तमाम बेटियों ने बीते कुछ दिनों में हुई छेड़छाड़ की घटनाओं के दौरान कैसे सबक सिखया, यह भी बताया। शारदा विद्या मंदिर की कक्षा 10 की छात्रा पल्लवी शर्मा (परिवर्तित नाम) ने बताया कि स्कूल जाते समय कुछ लड़के फब्तियां कसते थे। पहले सोचा कि लड़कों से कैसे मुकाबला करेंगे इसलिए ध्यान देना छोड़ दिया, लेकिन इससे उनका हौसला बढ़ गया।
यह लक्षण दिखे तो जरूर बात करें
– परिवार वालों से अलग थलग रहना
– डरा सहमा सा रहना
– चिड़चिड़ापन होना
– स्कूल के प्रदर्शन में गिरावट
– व्यस्कों से दूर-दूर रहने की प्रवृत्ति
– अपनी उम्र के विपरीत सेक्स से जुड़ी बातें करना
– यौन अंगों को बार-बार छूना
– शारीरिक दर्द बने रहने की शिकायत
पुलिस का कबूलनामा
महिला थाना प्रभारी संध्या मिश्रा ने बताया कि लड़कियां मुकाबले की हिम्मत करने लगी हैं। हमारे पास कई मामले आते हैं जिसमें लड़कियां छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराती थीं, पहले वे सिर्फ शिकायत करती थीं।
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