भोपाल। व्यापमं घोटाले से जुड़े 42 से ज्यादा आरोपियों की मौत हो चुकी हैं। मौतें क्यों हो रही हैं और इन मौतों के पीछे असली वजह क्या है, अभी तक उजागर नहीं हो सका है। पुलिस मामलों को सामान्य मौतें मानकर खत्म करती जा रही है। जबकि खुद एसआईटी (हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच की निगरानी के लिए बनी समिति) इन मौतों पर सवाल खड़े कर चुकी है, लेकिन अब तक एक भी मौत का राज उजागर नहीं हुआ।
रसूखदारों और शिक्षा माफिया से जुड़े मध्यप्रदेश के इस सबसे बड़े घोटाले में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जितनी भी मौते हुईं, वे सब घोटाले से जुड़े सबसे कमजोर कड़ी हैं। मसलन पुलिस की जांच उनसे ही शुरू होकर बड़े और रसूखदारों की गिरेवां तक पहुंचती। इसलिए असमय हुई ये मौतें क्या वाकई एक हादसा हैं या किसी का सुनियोजित षड्यंत्र, यह गहन जांच का मुद्दा है।
इन मौतों के राज दफन
– 14 जून 2010, भोपाल से लगे हुए रायसेन जिले के उमरावगंज थाना क्षेत्र में अज्ञात वाहन की टक्कर से व्यापमं के तीन आरोपियों अनुज उइके मंडला, अंशुल सचान होशंगाबाद और श्यामवीर यादव ग्वालियर की मौत हो गई।
– 25 अक्टूबर 2012, सागर निवासी आदित्य चौधरी फांसी पर लटका मिला।
– 21 अप्रैल 2013 को मुरैना निवासी प्रमोद शर्मा भी फांसी पर लटका मिला।
– 15 जून 2014 को सिंगरौली के रवींद्र प्रताप सिंह की जहर खाने से मौत हो गई।
– 17 नवंबर 2012, अनंत राय टैगोर मुरैना की कैंसर से मौत।
– 28 नवंबर 2012, अरविंद शाक्य ग्वालियर, सड़क हादसे में मौत।
– 12 मई 2013, कुलदीप मरावी की सड़क हादसे में मौत।
– 17 मई 2013, प्रेमलता पांडे रीवा कैंसर से हुई मौत।
– 10 अगस्त 2013, तीन मामलों के आरोपी ग्वालियर के अशुतोष तिवारी की शराब पीने से मौत।
– 15 सितंबर 2013, तरुण मछार रतलाम की सड़क हादसे में मौत।
– 09 अक्टूबर 2013, आनंद सिंह यादव फतेहपुर, पांच मामलों में आरोपी। सड़क हादसे में संदिग्ध मौत।
– 26 दिसंबर 2013, देवेंद्र नागर भिंड, 01 फरवरी 2014, दीपक जैन शिवपुरी और – 14 फरवरी 2014, दिनेश जाटव मुरैना, की अलग-अलग सड़क हादसे में मौत।
– 20 अप्रैल 2014, इलाहाबाद के विकास पांडे की ब्रेन हेमरेज से मौत।
– 30 अप्रैल 2014, महोबा नरेंद्र राजपूत की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत।
– 21 जनवरी 2014, बंटी सिकरवार की ग्वालियर में मौत।
Hindi News / Bhopal / VYAPAM SCAM: जांच होती रही, आरोपी मरते रहे, दफन हुए कई मौतों के राज