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भोपाल

यहां डॉक्टर मैदान में करते हैं पोस्टमार्टम, तस्वीरें देखेंगे तो हैरान रह जाएंगे

विदिशा जिले के एक गांव में नहीं कोई पोस्टमार्टम केंद्र, डॉक्टर खुले मैदान में ही डेड बॉडी की कर देते हैं चीड़ फाड़

भोपालOct 16, 2016 / 09:58 am

Anwar Khan

postmortem of human body

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गोविंद सक्सेना @ विदिशा। भले ही इंडिया को आजाद हुए 70 साल बीत गए हों, पर आज भी देश में मेडिकल सुविधाएं न के बराबर हैं। बात मध्यप्रदेश की करें, तो यहां शहरों में तो बुनियादी और पुख्ता इलाज उपलब्ध है, पर ग्रामीण इलाकों में मेडिकल सुविधाएं बेहद कमजोर हैं। कहीं डॉक्टर नहीं तो कहीं अस्पताल। जहां डॉक्टर हैं, वहां अस्पताल नहीं हैं। ऐसा ही एक गांव है मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में। ग्राम पठारी। यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो है, पर पोस्टमार्टम रूम नहीं है। यहां कोई डेड बॉडी आती है तो डॉक्टर को खुले मैदान में ही डेड बॉडी की चीड़ फाड़ कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनानी पड़ती है। आइए बताते हैं डॉक्टर कैसे करते हैं ये काम….





जमीन पर पटक देते हैं डेड बॉडी
पठारी के इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आज भी पोस्टमार्टम के लिए शव को शमशान के पास ले जाकर खुले में चीरफाड़ करना पड़ती है। शव को जमीन पर पटक दिया जाता है और वहीं उसका पोस्टमार्टम किया जाता है। कई बार आते-जाते लोगों की नजर पडऩे पर वे दहल उठते हैं। वर्षों बीत गए इसी तरह, लेकिन यहां पोस्टमार्टम के लिए एक कमरा तक नहीं बन सका। न जनप्रतिनिधियों ने रुचि ली और न अधिकारियों ने। 


postmortem of human body

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एक अस्पताल और 84 गांव
ग्राम पठारी के इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से आसपास के 84 गांव जुड़े हैं। यानी इन 84 गांव में यदि कोई बीमार पड़ता है, तो उनके लिए सिर्फ यही एक मात्र अस्पताल है। शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में गंभीर मरीजों का पहुंचना भी आसान नहीं है। मुख्य सड़क से अस्पताल भवन तक पहुंचने का मार्ग ही नहीं है। ऊबड़-खाबड़ मैदान को पार कर यहां पहुंचना पड़ता है। पैथॉलॉजी है पर अधिकांश समय या तो पैथॉलॉजिस्ट नहीं रहता या फिर केमीकल्स के अभाव में मरीजों की जांच नहीं हो पाती। यहां कुरवाई के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से पैथॉलॉजी का सामान, दवाएं आदि आती हैं। 


रोजाना आते हैं 70-90 मरीज
पठारी के इस अस्पताल में रोजाना 3-4 महिलाएं प्रसव के लिए आती हैं, लेकिन महिला चिकित्सक न होने से थोड़े भी जटिल मामलों को रेफर कर दिया जाता है। सामान्य मामलों में स्टॉफ नर्स और एएनएम की मदद से प्रसव कराया जाता है। यहां मरीजों को संभालने का काम एकमात्र मेडीकल ऑफीसर डॉ. इंद्रजीत सिंह रघुवंशी करते हैं, जबकि रोजाना ओपीडी में करीब 70 से 90 मरीज अपना परीक्षण कराने आते हैं। 




इनका कहना है…
यह सही हैकि पठारी के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पोस्टमार्टम कक्ष नहीं है। इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। विधायक वीरसिंह पवार ने 
भी अपनी विधायक निधि से पोस्टमार्टम कक्ष बनवाने में मदद का भरोसा दिलाया है। जल्दी ही इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 
– डॉ. बीएल आर्य, सीएमएचओ 




विधायक बोले- मैं बनवाऊंगा पोस्टमार्टम रूम
पठारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थिति से मैं वाकिफ हूं। मैंने डॉक्टर को कहा है कि शासन स्तर से पीएम कक्ष का निर्माण हो सके तो ठीक है, नहीं तो मैं अपनी विधायक निधि से बनवा दूंगा। इस अस्पताल में एम्बूलेंस और शव वाहन भी अपनी विधायक निधि से दिलवाने को कहा है। अस्पताल तक का एप्रोच रोड भी बनवाऊंगा।
– वीरसिंह पवार, विधायक कुरवाई

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