भोपाल। इलाहबाद हाईकोर्ट ने तीन तलाक को महिलाओं की इज्जत को ठेस पहुंचाने वाला कानून बताते हुए ये टिप्पणी दी कि कोई भी धार्मिक कानून भारतीय संविधान से ऊपर नहीं है। इस तरह के कानून देश को एक राष्ट्र बनाने में बाधा है। ट्रिपल तलाक के इस मामले में भोपाल के उलेमाओं ने भी मोदी का विरोध जताया। हालांकि मुस्लिम धर्म में तलाक का ये हक केवल पुरुषों को ही नहीं है, बल्कि महिलाओं को भी पुरुषों से अलग होने के लिए अधिकार दिए गए हैं। ट्रिपल तलाक का मतलब होता है कि कोई भी मुस्लिम पति अपनी पत्नी से सिर्फ तीन बार तलाक कहकर रिश्ता तोड़ सकता है। पर, इससे भी दिलचस्प एक फैक्ट है वो ये कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जहां पिछले चार साल में एक भी मुस्लिम पति ने तीन बार तलाक कहकर रिश्ता नहीं तोड़ा, वहीं मुस्लिम पत्नियों ने ‘खुला’ कदम उठाकर तलाक की अर्जियां शरिया कोर्ट में दाखिल कीं। आइए जानते हैं कुछ और रोचक तथ्य…
क्या है खुला?
जिस तरह शरीयत कानून के मुताबिक मुस्लिम पति अपनी पत्नियों को तलाक देने के लिए तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहकर रिश्ता तोड़ लेते हैं, ठीक उसी तरह मुस्लिम पत्नियां अपने तलाक लेने के लिए शरिया कोर्ट में ‘खुला’ (तलाक का आवेदन) दाखिल करती हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े
पिछले चार साल में जहां भोपाल में पतियों द्वारा ट्रिपल तलाक कहकर रिश्ता तोडऩे के मामले शून्य रहे, वहीं ‘खुला’ के जरिए पत्नियों द्वारा तलाक लेने के आंकड़े ज्यादा रहे।
(तलाक पति, जबकि खुला पत्नी, आंकड़े शरिया कोर्ट के अनुसार)
Hindi News / Bhopal / यहां पति से ज्यादा WIFE ले रही तलाक, ‘खुला’ कहकर तोड़ रहीं रिश्ता