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भोपाल

बच्चों का ऐसे रखेंगे बारिश के मौसम में ख्याल तो नहीं पडेंगे बीमार

पिछले एक सप्ताह में भोपाल के विभिन्न अस्पतालों में डायरिया और वायरल फीवर के मरीजों की संख्या 25 से 30 फीसदी तक बढ़ गई है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की है।

भोपालJul 05, 2017 / 05:25 pm

दीपेश तिवारी

rainy season

disease in monsoon


भोपाल। बारिश का मौसम और मानसून यूं तो बच्चों के लिए खूब सारी मस्ती लेकर आता है, लेकिन इस मौसम में बीमारियां भी काफी फैलती हैं। जानकारी के अनुसार भोपाल के विभिन्न अस्पतालों में पिछले एक सप्ताह में डायरिया और वायरल फीवर के मरीजों की संख्या 25 से 30 फीसदी तक बढ़ गई है। 

इनमें सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की है। शहर के सरकारी व निजी अस्पतालों में इन बीमारियों से पीडि़त चार सौ से ज्यादा बच्चे भर्ती हैं। डॉक्टरों के अनुसार इनमें से ज्यादातर बच्चे उल्टी-दस्त और वायरल फीवर से पीडि़त हैं। डॉक्टर्स के अनुसार बारिश में खान-पान का ध्यान नहीं रहने के कारण बच्चे इन बीमारियों के शिकार बन रहे हैं।


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fly problem


डॉ. राजकुमार के मुताबिक इस मौसम में बच्चों की सेहत का खास तौर पर ख्याल रखना होता है। बारिश का सीजन में बच्चे कई सारी बीमारियों को न्यौता देते हैं, ऐसे में वो बीमार ना हो जाएं कुछ इस तरह उनका ख्याल रखना होता है…

खाद्य पदार्थ साफ पानी से धोएं 
बारिश के मौसम में जमीन में रहने वाले ज्यादातर कीड़े सतह पर आ जाते हैं, जो फल, सब्जियों और खाद्य पदार्थों को दूषित करते हैं। इसलिए किसी भी फल और सब्जियों को खाने से पहले साफ पानी से अच्छे से धोएं और अगर जरूरत हो तो बीमारी से बचने के लिए पोटैशियम परमेंगनेट का प्रयोग किया जा सकता है।

उबला हुआ पानी पिलाएं
बरसात में पानी के वजह से भी इंफेक्शन होता है, बच्चों को उबला हुआ पानी पिलाएं और खुद भी यही पिएं।



water pipe line in air


साफ-सफाई का खास तौर पर ध्यान रखें मच्छरों से बचने के लिए घर और आस-पास गंदगी न होने दें और जर्म्स रिपेलेंट लिक्विड का इस्तेमाल करें।

समस्या होने पर डॉक्टर से लें सलाह
बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और बीमारियां उनपर जल्दी अटैक करती हैं। ऐसे में इस मौसम में बच्चों में बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। बारिश में बीमारियों से बचाने के लिए बच्चों को गंदगी से दूर रखें।

डायरिया की समस्या…
शरीर में पानी की कमी से डायरिया होता है। इसका समय पर इलाज ना हो तो मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है। इससे सर्वाधिक खतरा बच्चों को होता है। इससे राहत मिलने पर भी एक हफ्ते तक उपचार लेना चाहिए।

लक्षण : दस्त, पेशाब न आना, पेट में ऐंठन या तेजदर्द, बुखार और उल्टी आना।

उपचार व बचाव : शरीर में पानी की कमी न होने दें। फलों का रस नियमित लें इससे पर्याप्त मात्रा में तरल की पूर्ति होगी व एनर्जी मिलेगी। फलों के जूस में समान मात्रा में नमक व चीनी मिलाकर पिएं। इलेक्ट्रॉल व जीवनरक्षक ओआरएस घोल डायरिया का सबसे सस्ता व कारगर उपचार है। अपने स्तर पर डायरिया का घरेलू उपचार करने के बाद भी यदि समस्या बढ़ती दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


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वायरल फीवर…
यह इन्फ्लूएंजा का वायरस के इंफेक्शन से होता है, इसलिए इसे वायरल फीवर कहते हैं। डायबिटीज व हृदयरोगियों को यह जल्दी प्रभावित करता है।

लक्षण : 100 डिग्री से ज्यादा बुखार या सर्दी-जुकाम गले में दर्द और बदन दर्द।

उपचार व बचाव : भोजन करने से पहले व बाद में हाथों को अच्छे से साबुन से धोएं। घर में और आसपास साफ-सफाई रखें। बीमार व्यक्ति से ज्यादा संपर्क न बनाएं व तीमारदार सावधानियांं बरतें। छींकते समय मुंह पर रुमाल रखें।

बच्चों को भींगने से बचाएं
बारिश में बच्चों को भीगने न दें। अगर वे स्कूल से लौटते वक्त भीग जाएं तो तुरंत उन्हें साफ पानी से नहालाएं और हीटर या आग से सर्दी को दूर करें। बच्चों के शरीर की साफ-सफाई का भी ध्यान रखें। साथ ही उनके खेलने की जगह को भी साफ रखें।

ये बीमारियां कर सकती हैं परेशान, ऐसे करें बचाव
बरसात जाने व सर्दी आने के बीच के मौसम को संधिकाल कहा जाता है। इसमें संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। यही कारण है कि हम जल्दी-जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। 

ऐसे में घर के खाली गमले, कूलर, खुले टब और टैंक में भरे पानी में मच्छर पनपते हैं। जिनसे डेंगू व स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां बढ़ जा​ती हैं। इन बीमारियों की चपेट में बच्चे, बूढ़े, डायबिटीज व हृदयरोगी अधिक आते हैं। 

स्वाइन फ्लू का डर
सामान्य सर्दी-जुकाम से इस रोग की शुरुआत होती है, जो शरीर में श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है जिससे मरीज गंभीर अवस्था तक पहुंंच सकता है।


swine flu


लक्षण: सर्दी-जुकाम, बुखार, सिरदर्द, बेचैनी, सांस लेने में तकलीफ होना आदि ।

उपचार व बचाव : इसका इलाज है वैक्सीनेशन। एंटीवायरल एजेंट्स से भी यह ठीक हो सकता है। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें। शुद्ध व साफ पानी, जूस व गर्म सूप पिएं। बिना डॉक्टरी सलाह के दवा न लें। भीड़भाड़ वाले इलाके से दूर रहें और साफ-सफाई का ध्यान रखें। स्वाइन फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और दिशा-निर्देशों का पालन करें।

डेंगू की मार
यह रोग एडीज नामक मच्छर के काटने से होता है। ऐसे में जरा-सी असावधानी से रोगी बेहोश होकर गंभीर अवस्था में पहुंच सकता है।


mosquito problem

लक्षण : बुखार, सिर-हाथ-पैर व बदन में तेज दर्द, उल्टी, जोड़ों में दर्द, दस्त व प्लेटलेट्स का अनियंत्रित रूप से घटना।
उपचार व बचाव : डेंगू का एडीज मच्छर पानी में पनपता है। घर के आसपास पानी जमा न होनें दें। खाली गमले, कूलर आदि साफ करें। जहां पानी जमा है, वहां केरोसिन डाल दें। कीटनाशक छिड़काव करें। मच्छरदानी में सोएं।


स्क्रब टाइफस से खतरा
यह पिस्सुओं के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है। सतर्क रहकर यदि समय पर इसका इलाज किया जाए तो यह ठीक हो सकता है।

लक्षण : तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, काटने वाली जगह पर फफोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान दिखता है।

उपचार व बचाव : इसकी पहचान के लिए ब्लड टेस्ट करते हैं। रोग का पता चलते ही दवाओं का कोर्स शुरू कर दिया जाता है और खानपान में बिना तेल व मसाले वाला भोजन देते हैं।

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