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जयपुर

अनूठी पहल : यहां चॉकलेट के पैसों से भरा जा रहा गायों का पेट

कहते हैं कि अच्छी शिक्षा और संस्कृति देश का निर्माण करती है। ऐसा ही कुछ
गणेश्वर गांव के स्कूलों में दिख रहा है। यहां के बच्चे एक, दो या पांच
रुपए की चॉकलेट नहीं खरीदते बल्कि यही पैसा गालव गोशाला को दान में दे देते
हैं।

जयपुरNov 19, 2015 / 11:48 am

vishwanath saini

कहते हैं कि अच्छी शिक्षा और संस्कृति देश का निर्माण करती है। ऐसा ही कुछ गणेश्वर गांव के स्कूलों में दिख रहा है। यहां के बच्चे एक, दो या पांच रुपए की चॉकलेट नहीं खरीदते बल्कि यही पैसा गालव गोशाला को दान में दे देते हैं।

यहां के करीब दस निजी और सरकारी स्कूलों के बच्चे गोशाला से जुड़े हुए हैं। विद्यार्थियों के दान करने की भावना की हर कोई प्रशंसा कर रहा है। स्कूलों में दान पात्र रखने की प्रेरणा डॉ. प्रदीप शर्मा को दे रहे हैं। उन्होंने पांच वर्ष पूर्व सभी स्कूलों में गोशाला के दान पात्र रखवाए और बच्चों को गौ-सेवा के लिए दान पात्र में पैसा डालने की प्रेरणा दी।

150 गाएं हैं

अग्रवाल ने बताया कि गोशाला भवन निर्माण का कार्य अब भी जारी है। इसमें करीब करोड़ों रुपए लग रहे हैं। गोशाला में अभी 150 गाएं हैं।

बच्चों से बड़े भी प्रेरित

स्कूलों में रखे दान पात्र में अच्छा खासा पैसा देख गोशाला प्रशासन ने अब गांव के सार्वजनिक स्थलों पर भी गौ सेवा के लिए दान पात्र लगा दिए। ग्रामीण गौ सेवा के नाम पर रोजाना सुबह शाम पैसा डालकर पूण्य का लाभ कमा रहे हैं।

बच्चों के दान से प्रति वर्ष मिलते है 12 हजार

दान करने के लिए बच्चों पर कोई दबाव नहीं है। माह में एक दिन हर विद्यालय में दान पत्र रखा जाता है। बच्चों को दान करने की जानकारी एक दिन पहले दे दी जाती है। बच्चे अपनी जेब खर्च के पैसे बचाकर दान पात्र में डालते हैं। शिक्षक भी 5 से 10 रुपए दान करते हैं। गोशाला के अध्यक्ष रामनारायण अग्रवाल ने बताया कि प्रति वर्ष एक विद्यालय से 10 से 12 हजार रुपए दान में मिलते हैं।

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