भोपाल। देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में साल-दर-साल बढ़ोतरी हो रही है। मनचलों की हरकतों के कारण महिलाओं का सड़कों पर निकलना भी मुश्किल है। बाजार में आ रहे रोज नए गैजेट्स ने निजी पलों को भी आम कर दिया है। बढ़ते अपराधों से सरकार भी चिंतित है और इन पर रोक लगाने के मकसद से कानून में आवश्यक बदलाव किए गए हैं।
अब महिलाओं को छुपकर देखना, उनका पीछा करना, मर्जी के बिना तस्वीरें खींचने जैसी हरकतों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। अपने कत्र्तव्य की अनदेखी करने वाले सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है। जरूरी है कि महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों को जानें और ऐसे तत्वों के खिलाफ आवाज उठाएं। इसी मकसद से पत्रिका आपको दे रहा है कानूनी बदलावों की जानकारी।
छेड़छाड़ का दायरा व्यापक
छेड़छाड़ के केस में धारा 354 लगती है। पहले इसका दायरा सीमित था। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम इसमें शामिल नहीं थे। अब इसमें सब सेक्शन ए, बी, सी और डी जोड़ दिए गए हैं।
354 (ए) – कोई भी व्यक्ति किसी महिला को उसकी इच्छा के बिना स्पर्श करता है, कोई अभद्र इशारा करता है, किसी तरह के सेक्सुअल फेवर की डिमांड करता है या उसकी इच्छा के बिना अश्लील तस्वीरें या फिल्में दिखाता है तो उसे तीन साल तक के कठोर कारावास या जुर्माने की सजा हो सकती है। अश्लील टीका-टिप्पणी करने भी पर एक साल तक की सजा हो सकती है।
(बी) : अगर किसी महिला के ऊपर शारीरिक शक्ति का प्रयोग कर उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की जाए तो इसके लिए कम से कम तीन साल की सजा दी जाएगी, जिसे बढ़ाकर सात साल तक किया जा सकता है। इसके साथ जुर्माना भी किया जा सकता है।
(सी) : प्राइवेट एक्ट के दौरान किसी महिला को अगर कोई छुपकर देखता या उसकी तस्वीरें उतारता है और फिर इनका प्रचार-प्रसार करता है तो इसके लिए कम से एक साल की सजा का प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर तीन साल तक किया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार ऐसा करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे तीन से सात साल तक की सजा दी सकती है। इसके साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। प्राइवेट एक्ट से आशय सेक्सुअल एक्ट के अलावा बाथरूम और वॉशरूम के इस्तेमाल से है। यदि तस्वीरें उतारने में किसी महिला की सहमति भी है लेकिन वह उसका प्रचार नहीं चाहती और आरोपी ऐसा करता है तो वह इसी दंड का भागीदार होगा।
(डी) : किसी महिला की मर्जी के खिलाफ उसका पीछा करना, उससे संपर्क करना या संपर्क की कोशिश करने को स्टॉकिंग माना जाएगा। इसमें महिला द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे इंटरनेट, ई-मेल या किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन पर नजर रखना भी शामिल है। सोशल साइट पर बार-बार फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना या मिस्ड कॉल करना भी स्टॉकिंग है। इसके लिए जुर्माने के साथ तीन साल तक की सजा दी जा सकती है। दूसरी बार ऐसा करते पकड़े जाने पर पांच साल तक की सजा दी जा सकती है। हालांकि किसी केस की जांच करने वाले अधिकारियों को इससे मुक्त रखा गया है।
धारा 166 ए : यदि कोई पुलिस अफसर शिकायत दर्ज करने से मना करता है या जानबूझकर जांच शुरू नहीं करता या इस संबंध में किसी भी कानून का उल्लंघन करता है तो उसे छह महीने से लेकर दो साल तक की सजा हो सकती है।
166 बी अगर किसी अस्पताल में दुष्कर्म पीडि़ता का इलाज करने से मना किया जाता है तो उसके इंचार्ज को एक साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों भुगतने पड़ सकते हैं।
एसिड अटैक : पहले कानून में एसिड अटैक के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था। इसलिए पीडि़ता की सारी जिंदगी बर्बाद होने के बावजूद दोषी को सख्त सजा नहीं हो पाती थी। अब धारा 326 में सब सेक्शन ए और बी जोड़े गए हैं। इसके तहत एसिड अटैक जिससे कोई स्थायी या अस्थायी अपंगता और विकृति होती है, के लिए दस साल तक की सजा हो सकती है। वहीं एसिड फेंकने पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान है।
Hindi News / Bhopal / FACT: मिस्ड कॉल देना या फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना भी है CRIME, हो सकती है जेल