भोपाल। आजकल बाजार में मच्छरों को भगाने वाले ढेरों और आधुनिक विकल्प मौजूद हैं। जिनका संभलकर यूज करना आपको भले ही सही लगता हो पर ये फैक्ट जानकर हर मां की आंखें खुली की खुली रह जाएंगी कि इन प्रोडक्ट्स को तैयार करने में इस्तेमाल किए जाने वाले कैमिकल 100 सिगरेट के बराबर धुआं बच्चों के लंग्स में पहुंचा रहे हैं। ये फैक्ट जानकर आप कभी नहीं करेंगे इन केमिकल प्रोडक्ट का इस्तेमाल…
बढ़ रही सांस संबंधी बीमारियां
आप कितनी खुश होकर बच्चों को इन कीटनाशकों का यूज करने के लिए प्रेरित करती हैं ताकि उन्हें डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसे रोगों से दूर रखा जा सके। पर ये फैक्ट आपके दिल की धड़कनें बढ़ा सकता है कि इन दवाओं को बनाने में इस्तेमाल किया जाने वाला कैमिकल सीधे लंग्स पर अटैक करता है, जिससे अस्थमा जैसी सांस संबंधी बीमारियों समेत कई गंभीर रोगों में इजाफा हो रहा है।
ये कैमिकल हैं खतरनाक
इन मच्छर मारक दवाओं को तैयार करने में इस्तेमाल किए जाने वाले कैमिकल में एथलीन, मेलफो क्वीन और फोस्टीन नामक तीन खतरनाक कैमिकल शामिल हैं।
यहां बैन हैं ये कैमिकल
इन खतरनाक कैमिकल के यूज पर यूरोप समेत अन्य 56 देशो में पिछले कई सालों से प्रतिबंधित कर दिया गया है। जबकि हमारे देश में आज इन कैमिकल्स से तैयार प्रोडक्ट को बच्चों पर जमकर यूज किया जा रहा है। जिससे नई पीढ़ी की सेहत कमजोर होती जा रही है।
1 सैकंड में हवाओं में घुलता है जहर
ये कैमिकल्स हवा के संपर्क में आते ही तुरंत और तेजी से अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं। स्थिति ये है कि लिक्विड, ऑइली या फिर पेपर वाले मच्छर भगाने वाले ये प्रोडक्ट एक सैकंड में इतना धुंआ छोड़ते हैं कि कुछ ही दिन में आप अस्थमा के शिकार हो जाएंगे। लंबे समय तक इनका यूज कैंसर जैसे गंभीर रोग का कारण बन सकता है।
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