भोपाल। राजगढ जिले के सबसे प्राचीन नगरों में शुमार सारंगपुर में अलग-अलग पांच स्थानों पर स्थापित शिवालय ऊं की आकृति बनाते हैं।
इन पांच शिवालयों में सबसे महत्वपूर्ण कालीसिंध नदी के मध्य स्थित अति प्राचीन शिवालय कपिलेश्वर महादेव धार्मिक, एतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से शहर सहित जिले के लाखों शिवभक्तों का आस्था का केन्द्र है।
कहा जाता है कि यह शिवालय महर्षि कपिल मुनि की साधाना स्थली था, जहां वे कपिला धेनु(गाय) के साथ विश्व के कल्याण के लिए शिव की साधना किए करते थे। मान्यता है कि कपिला धेनु के पदचिंह्न आज भी मंदिर परिसर में स्थापित है।
जानकारों के अनुसार प्राचीन काल में तंत्र साधना के लिए भी यह स्थान काफी प्रसिद्ध था। वर्तमान में पूरे वर्ष यहां शिवभक्तों की भीड़ शिवालय में उमडती है। वहीं
सावन मास और
शिवरात्रि पर तो यहां पूरे माह मेला लगा रहता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर भी यहां पांच दिवसीय मेले का आयोजन होता है। वहीं सावन के दूसरे सोमवार पर भी हजारों शिवभक्त मंदिर में पहुंच कर कपिलेश्वर महादेव का आशीर्वाद लेने मंदिर पहुंचें।
प्रथम सूर्यकिरण करती है शिवाभिषेक
प्राचीन काल में देवास स्टेट के संस्थापक जिवाजीराव पंवार द्वारा संवत 1735 में मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद से समय समय पर इसका जीर्णोधार होता रहा। मंदिर का निर्माण भी इस तकनीक से किया है कि नदी की तेज धार से मंदिर का किसी प्रकार का नुकसान न हो।
वहीं सुर्योदय की प्रथम किरण भी सीधे शिवलिंग पर पड़ प्रथम अभिषेक करती है। मंदिर परिसर में ही प्राचीन खेड़ापति हनुमान मंदिर,नवग्रह शनि मंदिर और गोशाला स्थापित है।
Hindi News / Bhopal / ‘ऊँ’ आकृति वाला यह शिवालय है कपिल मुनि की साधना स्थली!, जहां कपिला गाय करती थी कल्याण