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भोपाल

भगवान शिव के रुद्रभिषेक से मिलता है मनचाहा वरदान,आपने कभी देखा है ऐसा अभिषेक?

वैसे तो भोलेनाथ सरल उपासना से भी प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन रुद्राभिषेक उन्हें सबसे अधिक प्रिय है। इसे शुद्ध मन से उचित समय पर किया जाना चाहिए।

भोपालJul 05, 2017 / 12:33 pm

दीपेश तिवारी

rudrabhishek in sawan month

rudrabhishek of bhagwan shiv in sawan month


भोपाल। रुद्राभिषेक महादेव को प्रसन्न करने का रामबाण उपाय माना जाता है। ज्योतिषों व पंडितों के अनुसार सही समय पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करके आप मनचाहा वरदान पा सकते हैं। क्योंकि शिव के रुद्र रूप को ये अभिषेक बहुत प्रिय है। 

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार भगवान शिव का रुद्राभिषेक बहुत प्रभावी और महत्वपूर्ण होता है, इसे शुद्ध मन से उचित समय पर किया जाना चाहिए। ऐसा करने से रुद्रभिषेक करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं….

रुद्राभिषेक की महिमा
पंडित शर्मा के अनुसार वैसे तो भोलेनाथ सबसे सरल उपासना से भी प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन रुद्राभिषेक उन्हें सबसे अधिक प्रिय है। कहते हैं कि रुद्राभिषेक से शिव जी को प्रसन्न करके आप असंभव को भी संभव करने की शक्ति पा सकते हैं।


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मान्यता के अनुसार रुद्र भगवान शिव का ही प्रचंड रूप हैं। और शिव जी की कृपा से सारी ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता है।
शिवलिंग पर मंत्रों के साथ विशेष चीजें अर्पित करना ही रुद्राभिषेक कहा जाता है। रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ किया जाता है।
वहीं सावन में रुद्राभिषेक करना ज्यादा शुभ माना जाता है। यह भी मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। रुद्राभिषेक कोई भी कष्ट या ग्रहों की पीड़ा दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है।

कौन से शिवलिंग पर करें रुद्राभिषेक?
जानकारो के अनुसार अलग—अलग शिवलिंग और स्थानों पर रुद्राभिषेक करने का फल भी अलग होता है। 
1. मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना बहुत उत्तम होता है।
2. इसके अलावा घर में स्थापित शिवलिंग पर भी अभिषेक कर सकते हैं।
3. रुद्राभिषेक घर से ज्यादा मंदिर में, नदी तट पर और सबसे ज्यादा पर्वतों पर फलदायी होता है।
4. शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक कर सकते हैं।


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अलग-अलग वस्तुओं से अभिषेक करने का फल
रुद्राभिषेक में मनोकामना के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। ज्योतिषों के अनुसार व्यक्ति जिस वस्तु से रुद्राभिषेक करता है, उससे जुड़ी मनोकामना ही पूरी होती है। 
1. घी की धारा से अभिषेक करने से वंश बढ़ता है।
2. इक्षुरस से अभिषेक करने से दुर्योग नष्ट होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
3. शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने से इंसान विद्वान हो जाता है।
4. शहद से अभिषेक करने से पुरानी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं।
5. गाय के दूध से अभिषेक करने से आरोग्य मिलता है।
6. शक्कर मिले जल से अभिषेक करने से संतान प्राप्ति सरल हो जाती हैं।
7. भस्म से अभिषेक करने से इंसान को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
8. कुछ विशेष परिस्थितियों में तेल से भी शिव जी का अभिषेक होता है।

रुद्राभिषेक कब होता है सबसे उत्तम?
कोई भी धार्मिक काम करने में समय और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। रुद्राभिषेक के लिए भी कुछ उत्तम योग बनते हैं। 


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1. रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है।
2. शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें, बुरा प्रभाव होता है।
3. शिव जी का निवास तभी देखें जब मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक करना हो।

शिव जी का मंगलकारी निवास:
माना जाता है कि देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं। महादेव कभी मां गौरी के साथ होते हैं, तो कभी-कभी कैलाश पर विराजते हैं। ज्योतिषाचार्याओं की मानें तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो…
1. हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं।
2. हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं।
3. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं।
4. शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं।


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5. कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिव जी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं।
6. शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं।
7. रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है।

कब निवास अनिष्टकारी :
शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक लेकिन पंडितों के अनुसार रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्‍टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है…
1. कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं।
2. शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को भी शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं।
3. कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी को महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं।
4. शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी में भी महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं।
5. कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी को नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं।
6. शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भी नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं।
7. कृष्णपक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी को रुद्र भोजन करते हैं।
8. शुक्लपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भी रुद्र भोजन करते हैं।
9. इन तिथियों में मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक नहीं किया जा सकता है।

सावन का महिना भगवान शिव को अति प्रिय है, ऐसे में अधिकांश भक्त इसी दौरान इनका रुद्रभिषेक करते हैं। ऐसे ही एक अभिषेक का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। जो फेसबुक, व्हाट्सएप सहित कई प्रकार के ग्रुपों में तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो को देख कर एक बार तो हो सकता है आप भी चौंक जाएंगे। वहीं लोग के बीच भी ये वीडियो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है, और हर कोई एक दूसरे से पूछता दिख रहा है कि क्या आपने देखा है ये वीडियो…

वीडियो देखने के लिए यहां करें क्लिक:-


इस समय नहीं किया जाता तिथियों का विचार:
कुछ व्रत और त्योहार रुद्राभिषेक के लिए हमेशा शुभ ही होते हैं। उन दिनों में तिथियों का ध्यान रखने की जरूरत नहीं होती है…
1. शिवरात्री, प्रदोष और सावन के सोमवार को शिव के निवास पर विचार नहीं किया जाता। 
2. सिद्ध पीठ या ज्योतिर्लिंग के क्षेत्र में भी शिव के निवास पर विचार नहीं किया जाता।
रुद्राभिषेक के लिए ये स्थान और समय दोनों हमेशा ही मंगलकारी माने जाते हैं।

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