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भोपाल

फकीर की तरह दिखती है, पर भोले के भजनों ने दिलाई पहचान

पचमढ़ी की वादियों में बसा जटाशंकर धाम, यह शिवजी का दूसरा घर माना जाता है। यहां की चट्टानों और कण-कण में शिवजी बसे हैं। इसके साथ ही शिवजी लोगों के दिलों में भी बसे हैं।

भोपालJan 17, 2017 / 04:37 pm

Manish Gite

jatashankar pachmarhi

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मनीष गीते
भोपाल। पचमढ़ी की वादियों में बसा जटाशंकर धाम, यह शिवजी का दूसरा घर माना जाता है। यहां की चट्टानों और कण-कण में शिवजी बसे हैं। शिवजी यहां के लोगों के भी दिलों में बसे हैं। एक महिला भी दिन-रात भोले की ऐसी भक्ति करती है कि यहां आने वाला श्रद्धालु उस महिला के बारे में जरूर पूछता है। वह महिला पहाड़ों पर बैठकर बरसों से शिवजी के भजन गा रही है। उसके भजन और आवाज का जादू ऐसा है कि हर कोई श्रद्धालु उसके भजन सुनने के लिए ठहर जाता है। कुछ लोगों ने उसके भजनों की सीडी भी प्रकाशित की है।

सिंधु बाई नामक यह महिला दो दशक पहले महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के गोरज गांव से यहां आकर रहने लगी थी। वह क्यों आई इस बारे में वह सिर्फ इतना कहती है कि शिवजी ही मुझे यहां तक ले आए। सिंधु बाई को स्थानीय लोग भक्तन बाई के नाम से भी पुकारते हैं। पिछले दो दशकों से सिंधु बाई चट्टानों पर बैठकर भजन कीर्तन करती रहती है। पहाड़ों से निकालकर लाई गी जड़ी-बूटी बेचकर अपना पालन-पोषण करती है।

अब सिंधु बाई के भजनों की सीडी भी देश-विदेशों में अपनी पहचान बना चुकी है, जो भी पचमढ़ी आता है वह सिंधु बाई के बारे में जरूर पूछता है। सिंधु के भजन यू-ट्यूब पर भी मौजूद हैं। जब लोग जटाशंकर पहुंचते हैं और सिंधु बाई के बारे में पूछते हैं तो वह देखते-ही-देखते सबके सामने आ जाती है और शिव भक्तों के लिए भजन गाने लगती है। आज सिंधु बाई के मुख से यह भजन सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और जोश और ऊर्जा से भर जाते हैं।

यह है भजन का भाव, सुनिए अम्मा की जुबानी
इस भजन में सिंधु बाई ने शिवजी की तारीफ की है और साथ में यह भी प्रार्थना की गई है कि आपके गले में सर्प की माला, भभूत लगाए, हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए शिवजी, तो कैसे पूजा करूं, मुझे डर लगता है।



(पचमढ़ी के जटाशंकर जाने वाले रास्ते कुदरती रूप से चट्टानों में विभिन्न आकृतियां बन गई हैं। इनमें शिवजी का एक नंदी शिवलिंग की तरफ मुख करके बैठा है, वहीं एक पहाड़ी की तलहटी पर गणेशजी नजर आते हैं।)


जड़ी-बूटियां बेचकर पालती है पेट
चट्टानों में रहने वाली यह सिंधु बाई जडी-बूटियां बेचकर अपना पेट पालती है। वह बताती है कि पचमढ़ी के जंगलों में जड़ी-बूटियों का खजाना है। इसे जंगलों से लाते हैं और बेचते हैं। इन जड़ीबूटियों के सेवन से कई लोगों को बीमारियों में फायदा हुआ है।


भस्मासुर से बचने यहीं छिपे थे शिवजी
पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब भस्मासुर शिवजी के पीछे पड़ गए थे उस समय शिवजी भागकर यही छुपे थे। पहाड़ों और चट्टानों के बीच बरगद के पेड़ों की झूलती शाखाएं देखकर ऐसा लगता है कि शिवजी ने अपनी विशालकाय जटाएं फैला रखी हैं। इसके साथ ही रॉक फॉर्मेशन से भी ऐसा ही प्रतीत होता है। बताया जाता है कि इसी कारण इस स्थान का नाम जटाशंकर पड़ा। इसके अलावा यहां बड़ी-बड़ी और झुकी हुई चट्टानों को देखकर भी ऐसा लगता है जैसी


शिवजी का दूसरा घर है पचमढ़ी
MP के पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर माना जाता है। भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए जिन कंदराओं और खोहों में छुपे थे वह सभी स्थान पचमढ़ी में ही हैं। महाशिवरात्रि के दौरान सैंकड़ों भक्त यहाँ पूजा करने के लिए आते हैं।

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