फोरम ने यह कहते हुए कि अधिनियम की वजह से शिकायतकर्ता को वित्तीय हानि हुई है, संबंधित बैंक को मानसिक उत्पीड़न के लिए 5000 रुपए और मुकदमेबाजी लागत के रूप में 2,000 रुपए भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
भोपाल। जिला उपभोक्ता विवाद निपटान मंच ने एक जानेमाने निजी बैंक पर ग्राहक को क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट ना देने और ग्राहक पर शेष राशि का देने के लिए कहने के लिए दोषी पाया है। फोरम ने यह कहते हुए कि अधिनियम की वजह से शिकायतकर्ता को वित्तीय हानि हुई है, संबंधित बैंक को मानसिक उत्पीड़न के लिए 5000 रुपए और मुकदमेबाजी लागत के रूप में 2,000 रुपए भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
शिकायतकर्ता पंकज सक्सेना ने 14 अगस्त, 2007 को फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने ये कहा था कि एमपी नगर जोन में अलंकार परिसर की शाखा में उनका एक सेविंग अकांउट है। इस एकाउंट के लिए उन्होंने क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी ली हुई है। सारी औपचारिकता पूरी करने के बाद और सारी बकाया राशि भरने के बाद, उन्होंने 1 फरवरी 2007 को बैंक से ये अनुरोध किया था कि उनका क्रेडिट कार्ड बंद कर दिया जाए क्योंकि वह खो गया था।
लेकिन बैंक उनसे बकाया राशि भरने की बात करता रहा। सिर्फ इतना ही नहीं, बैंक ने पेंडिग पेमंट की जानकारी भी शेयर करने से मना कर दिया। उन्होंने लीगल नोटिस भेटा लेकिन फिर भी उधर से कोई जवाब नहीं आया। इसके साथ ही बैंक ने उनके अकाउंट के सारे ट्रांसेक्शन बंद कर दिए। यहां तक की उनके बनाए गए चेक भी बाउंस होने लगे थे।
बैंक ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि पंकज के क्रेडिट कार्ड पर 5,650 रुपए बकाया थे जब उसे फरवरी 2007 में बंद किया गया था। 9 सितंबर, 2007 को बकाया राशि 16,860 थी। यह कहते हुए कि सभी तथ्य गलत हैं, बैंक ने बर्खास्तगी की मांग की।
दोनों तरफ से दलीलों को सुनने के बाद फोरम का कहना था कि बैंक ने क्रेडिट कार्ड बंद करने के लिए आवेदन को स्वीकार कर लिया था लेकिन बकाया राशि का ब्यौरा उपलब्ध कराने में विफल रहे। यहां तक की कानूनी नोटिस के बावजूद कोई जबाव नहीं दिया गया। बैंक फोरम के सामने भी क्रेडिट कार्ड के डीटेल स्टेटमेंट को पेश करने में विफल रहा।
Hindi News / Bhopal / बैंक क्रेडिट कार्ड ब्लॉक ना करें तो आपको मिल सकता है हर्जाना, पढ़ें