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भोपाल

ऐसा क्या है इस गुरुद्वारे में जो पटना साहिब और स्वर्ण मंदिर में नहीं

मध्यप्रदेश की धरती को पावन कर चुके हैं गुरुनानक देव…। इंदौर, भोपाल और होशंगाबाद को निहाल करते हुए जबलपुर गए थे गुरुनानकदेव जी।

भोपालJan 04, 2017 / 03:33 pm

Manish Gite

hoshangabad gurudwara

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(सिख समाज के गुरु गुरुगोबिंद सिंहजी के 350वें प्रकाश पर्व पर विशेष)

भोपाल/होशंगाबाद। मध्यप्रदेश की राजधानी से 70 किलोमीटर दूर स्थित होशंगाबाद में सिंख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव द्वारा लिखित गुरु ग्रंथ साहिब आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं। यह ग्रंथ होशंगाबाद में वर्ष 1973 में एक परिवार को मिले थे। गुरुद्वारे में लोगों के दर्शनार्थ इन्हें रखा गया है।

500 साल पहले देश भ्रमण के दौरान गुरुनानक देव होशंगाबाद में रुके थे। माना जाता है कि संभवत: इसी दौरान उन्होंने ग्रंथ यहां रखा था। कहा जाता है कि यह ग्रंथ स्वर्ण मिश्रित स्याही से लिखा गया है। इतने पुराने सिर्फ दो ग्रंथ और हैं, जो हुजूर साहिब नांदेड़ और पंजाब के कीरतपुर में सुरक्षित रखे गए हैं।


इस संबंध में होशंगाबाद के सरदार राजपाल चड्ढा बताते हैं कि यह ग्रंथ उनके पिता सरदार जोगेन्द्रर सिंह चड्ढा और कुंदन सिंह चड्ढा को वर्ष 1973 में मंगलवारा घाट स्थित एक घर के कक्ष में एक संदूक में मिला था। उसके साथ एक कृपाण भी थी। इसके बाद ग्रंथ और कृपाण को संरक्षित करके गुरुद्वारा बनाया गया।


पवित्र है यह ग्रंथ
गुरुद्वारे में सुरक्षित यह ग्रंथ ऐतिहासिक है। यह करीब 500 साल से अधिक पुराना माना जाता है। ग्रंथ साहिब में कई समाज की वाणी के नाम दिए हुए हैं। इसमें हरि नाम 8344 बार, प्रभु 1371, गोविंद 473, ठाकुर 210, राम 2533, गोपाल 421, नारायण 85, अल्लाह 49, खुदा 12 वाहे गुरु 16, करतार 220 बार आया है। 1430 पन्नों वालों इस ग्रंथ में शब्दों, सवैयों और श्लोकों की संख्या 5 हजार 894 और 10 लाख 24 हजार अक्षर हैं, जिसमें 3 प्रमुख रागों की साक्षी वाणी है।


इंटरनेट पर है पूरी जानकारी
होशंगाबाद के मंगलवारा घाट स्थित गुरुद्वारे को इंटरनेट पर भी सर्च किया जा सकता है। इसमें गुरुद्वारे की फोटो को भी देखा जा सकता है।


2007 में हुआ था ऐतिहासिक घोषित
मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 2007 में गुरुद्वारे को ऐतिहासिक घोषित कर दिया था। इसमें तत्कालीन गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव ने शासन से गुरु ग्रंथ साहिब के बारे में जानकारी दी। इसके बाद गुरुद्वारे को ऐतिहासिक घोषित किया गया।


भोपाल से होकर होशंगाबाद गए थे गुरुनानक देव
माना जाता है कि बेटमा, इंदौर, भोपाल होते हुए होशंगाबाद आए थे। एक सप्ताह रुकने के बाद वे नरसिंहपुर, जबलपुर होते हुए दक्षिण दिशा की ओर गए थे। गुरुद्वारे के सूचना पटल पर इस बात का भी उल्लेख है कि प्राचीन नगर होशंगाबाद की स्थापना मालवा के राजा होशंगशाह ने की थी।


मध्यप्रदेश से पटना पहुंचे हजारों सिख
भोपाल के हमीदिया रोड स्थित गुरुद्वारे के ज्ञानी दलीप सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश के तमाम शहरों से जत्थों का पटना साहिब पहुंचने का सिलसिला जारी है। इसके साथ ही भोपाल समेत मध्यप्रदेश के कई गुरुद्वारे में गुरु गोबिंद सिंहजी के 350वें प्रकाशोत्सव के मौके पर अनेक आयोजन हो रहे हैं।


पटना साहिब का है खास महत्व
सिख इतिहास में पटना साहिब गुरुद्वारे का अहम स्थान है। यहां सिखों के 10वें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का जन्म यहीं 22 दिसंबर 1666 को हुआ था। सिख संप्रदाय के 5 प्रमुख तख्तों में दूसरा तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब हैं। हरिमंदिर साहिब गुरु गोविंद सिंह की याद में महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया था। यहां गुरु गोबिंद सिंहजी की कृपाण, लोहे की चोटी चकरी, बघनख खंजर, कमर कसा आदि रखें गए हैं।


यह हैं सिखों के गुरु
1. गुरु गुरुनानक देव
2. गुरु अंगद देव
3. गुरु अमरदास
4. गुरु रामदास
5. गुरु अर्जुन देव
6. गुरु हरगोबिंद सिंह
7. गुरु हर राय
8. गुरु हरकिशन सिंह
9. गुरु तेग बहादुर सिंह
10.गुरु गोबिंद सिंह


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