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जानें…इस एक कारण से अब तक भोपाल में नहीं दौड़ पाई मेट्रो ट्रेन

वर्ष 2013 में रोहित गुप्ता एसोसिएट्स और जर्मन की एलआरटीसी कंपनी का चयन हुआ और 2014 में मेट्रो रेल की डीपीआर तैयार हुई

भोपालJul 25, 2016 / 09:25 am

Krishna singh

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हर्ष पचौरी @ भोपाल. मेट्रो रेल चलाने का सपना अफसरों की जिद के आगे बौना साबित हो रहा है। कछुए की रफ्तार से आगे सरक रहे शहर के सबसे बड़े और लेटलतीफ प्रोजेक्ट मेट्रो रेल पर अफसरों की पसंद-नापसंद इस कदर हावी है कि विभागीय मंत्री सहित पूरा महकमा मूकदर्शक बना है। ये बात वर्ष 2007-08 में पहली बार मेट्रो रेल चलाने की मांग उठने के साथ शुरू हुई थी। सीएम की पहल पर वर्ष 2012 में पहली बार प्रोजेक्ट की फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनी। 


वर्ष 2013 में रोहित गुप्ता एसोसिएट्स और जर्मन की एलआरटीसी कंपनी का चयन हुआ और 2014 में मेट्रो रेल की डीपीआर तैयार हुई। 2015 में नगरीय प्रशासन आयुक्त संजय शुक्ला और एमडी गुलशन बामरा का तबादला हो गया। बीते साल जून 2015 में आईएएस विवेक अग्रवाल ने काम संभाला और डीपीआर की नए सिरे से समीक्षा शुरू कर दी। अग्रवाल ने आते ही कंपनी के 32 करोड़ रुपए के भुगतान पर रोक लगा दी। 



खूब संशोधन हुए और फस्र्ट फेज के लिए एयरपोर्ट से बसंतकुंज तक 18.56 किमी लंबे रूट की बजाए भदभदा से रत्नागिरी और करोंद से एम्स तक रूट नंबर 2 और 6 पहले फेज शामिल हो गए। अब तक एमडी के निर्देशन में काम रही टीम (ईएनसी जितेंद्र दुबे और ओएसडी कमलचंद्र नागर) ने उन शर्तों को बदलवाना शुरू कर दिया जिसमें जापान इंटरनेशनल कार्पोरेशन (जाइका) ने मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का 30 प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपोर्ट करने की बात कही थी। एमडी विवेक अग्रवाल का साफ कहना है कि कार्पोरेशन की मंशा सौदे में भारतीय कंपनियों को शामिल करने की है।


इन फैसलों पर उठे सवाल
पुराने शहर में तोडफ़ोड़ : एयरपोर्ट से बसंतकुंज तक पायलट रूट के तहत 18.56 किमी लंबा रूट डिमोलिशन फ्री था। इसके बावजूद इसे निरस्त कर रूट नंबर 2 करोंद टू एम्स और रूट नंबर 6 भदभदा टू रत्नागिरी का चयन किया गया। इस फैसले को लागू करने के लिए पुराने शहर की कई इमारतें टूटेंगी जिसका विरोध होगा।
डीपीआर बढ़ाने में देरी की : 2014 में डीपीआर फायनल होने के बावजूद इसे 2015 में कैबिनेट की मंजूरी के लिए नहीं भेजा गया। नए एमडी की पसंद के हिसाब से संशोधन हुए।
शासन को बगैर बताए भुगतान रोका : प्रोजेक्ट की डिटेल तैयार करने वाली कंपनी रोहित एसोसिएट्स बगैर मंजूरी के भुगतान रोका। 
लोन की शर्तें बदलवाने की जिद : मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जाइका से लोन लेने की शर्तें तय होने के बाद अब इसे बदलवाने की कोशिशें की जा रही हैं। ये आदेश भी नए एमडी से जुड़ा हुआ है जिसके चलते मातहतों की टीम इंप्लीमेंटेशन में लगी हुई है। विभागीय मंत्री को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई है।




इनका कहना है…
मैंने सरकार को प्रोजेक्ट केंद्रीय एजेंसी से पूरा कराने की सलाह दी थी। स्थानीय अफसरों के भरोसे कुछ होने वाला नहीं है। मुख्यमंत्री को धोखे में रखते हैं। 
-बाबूलाल गौर, पूर्व गृहमंत्री

 राजनीतिक बयानबाजी पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता। मेट्रो रेल प्रोजेक्ट सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय स्वीकृतियां मिलते ही ग्राउंड वर्क भी दिखने लगेगा।
– विवेक अग्रवाल, एमडी, एमपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन

मैं अब ऊर्जा विभाग में हूं और इसी बारे में सवालों के जवाब दे सकता हॅंू। मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करूंगा।
-संजय शुक्ला, आईएएस, एमडी, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी

जो डीपीआर 2014 में सबको ठीक लग रही थी, उसी में अब खामियां गिनाई जा रही हैं। अफसरों के बदलने का सबसे ज्यादा नुकसान हमें उठाना पड़ रहा है। 
-रोहित गुप्ता, एमडी, गुप्ता एसोसिएट्स

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