भोपाल। 2015 में प्रेग्नेंसी के दौरान मरने वाली महिलाओं की संख्या 113 दर्ज की गई। जिसके बाद एमपी ऐसे टॉप फाइव स्टेट्स में शामिल हो गया है, जहां प्रेगनेंसी के दौरान सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत होती है।
इस मामले में प्रदेश दूसरे पायदान पर है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में टॉप रहा है महाराष्ट्र। यहां 2015 में 633 मामले ऐसे सामने आए हैं।
ये फैक्ट आपको भी कर देंगे हैरान
* एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 में 109 महिलाएं प्रेगनेंसी के समय मौत की नींद सो गईं।
* महिलाओं की मौत के इस मामले में मध्यप्रदेश में 25 केस ऐसे भी सामने आए, जिनमें अबॉर्शन करवाने वाली महिलाओं को जान से हाथ धोना पड़ा।
* जबकि 2014 में इन मामलों की संख्या ज्यादा थी। तब 46 मामले ऐसे सामने आए थे।
* इन मौतों मामले में मेडिकल एक्सपर्ट ने बेहाल स्वास्थ्य सेवा और संसाधनों की कमी को जिम्मेदार माना।
* प्रदेश सरकार की जननी सुरक्षा योजना, स्वास्थ्य बीमा योजना जैसी योजनाएं भी यहां विफल साबित हो रही हैं।
* एक्सपर्ट के मुताबिक राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं हमेशा से ही सवालों के घेरे में रही हैं। क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं की प्रेगनेंसी के दौरान मौत का कारण उनका समय पर डॉक्टर्स तक न पहुंचना भी है।
* प्रदेश सरकार की ओर से इस स्थिति में सुधार के लिए आशा वर्कर्स की व्यवस्था भी की गई। हैरानी की बात यह है कि ये आशा वर्कर्स भी अनट्रेंड हैं, जो नहीं जानती कि एक प्रेगनेंट महिला की केयर कैसे की जानी चाहिए।
* विशेषज्ञों का मानना है कि डिलिवरी के समय ज्यादा खून बहने, बीपी हाई रहने के कारण मौत का यह आंकड़ा बढ़ा है।
* इन मौतों का एक कारण प्रेगनेंसी के दौरान प्रोपर डायट न मिल पाना, जरूरी सप्लीमेंट्स न मिलने के साथ ही अन्य कई फैक्ट्स हैं, जिनके कारण प्रेगनेंट महिलाओं की मौत हो जाती है।
* प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को जरूरी सप्लीमेंट्स नहीं मिल पाते। इनमें आयरन सबसे जरूरी है। इसकी कमी से भी उनकी मौत हो जाती है।
* 2016 में ऐसे कई मामले सामने आए जिनमें समय पर एम्बुलेंस नहीं पहुंची या पहुंची भी तो प्रेगनेंट महिलाओं को समय पर अस्पताल नहीं लाया जा सका।
* 2016 जुलाई में ऐसे मामले भी सामने आए, जिनमें समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंचने के कारण गर्भवती महिलाओं ने तांगे में, तो कहीं साडिय़ों से बने टैंट में शिशु को जन्म दिया। इन मामलों में सरकारी डॉक्टर्स की लापरवाही भी सामने आई।
* 12 जुलाई को दमोह के कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा तक एक महिला के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कर पाए थे।
* स्थिति यह है कि राजधानी के ही सुल्तानिया जनाना अस्पताल में न सोनोग्राफी की सुविधा है, न ही ब्लड बैंक की।
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