भोपाल। लगातार शिकार, हादसे और बीमारियों ने प्रदेश के बाघों की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। यदि यही हाल रहा, तो जिम्मेदारों की लापरवाही का सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो मध्यप्रदेश के हाथ से टाइगर स्टेट का दर्जा छिन जाएगा। हाल ही में सीहोर जिले के मिडघाट क्षेत्र में एक बाघिन ट्रेन से कट गई। बाघर के मारे जाने की एक सप्ताह मे ये दूसरी घटना थी। क्यों कि पिछले सप्ताह ही एक बाघ शावक सड़क पार करते समय अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया था। करंट से बाघिन की मौत के बाद प्रदेश में 32 बाघ मौत की नींद सोए हैं।
मप्र में जहां लगातार बाघों की मौत की खबरें सामने आई वहीं कर्नाटक में बाघों की संख्या में 10 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई है। आप भी जानें आखिर क्यों प्रदेश के सिर से क्यों उतर जाएगा टाइगर स्टेट का ताज…
* इस साल प्रदेश में 30 से ज्यादा बाघों की मौत हुई है।
* यह देश बाघों की मौत का 22 फीसदी है।
* इसका कारण प्रदेश में बाघों का शिकार होना और कुछ का हादसे या बीमारी के कारण मौत की नींद सोना है।
* शिकार पर प्रतिबंध के बावजूद शिकार जारी है, लेकिन वन विभाग का अमला शिकारियों तक नहीं पहुंच पा रहा।
* इतना ही नहीं लापरवाह अफसरों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
* इसके पहले मटकली को बांधवगढ़ से सतपुड़ा शिफ्ट किया गया था।
* वाइल्ड लाइफ एक्पट्र्स का कहना है कि मप्र की तुलना में कर्नाटक में बाघों की संख्या 10 फीसदी तक बढ़ी है।
* लेकिन इस वर्ष यानी 2016 में वहां भी 26 बाघों की मौत हुई है।
* उनका मानना है कि कर्नाटक में टाइगर संरक्षण की दिशा में बेहतर काम किया जा रहा है।
एेसे बढ़ेगी बाघों की संख्या
* यदि घास-चीतल की संख्या बढ़ती है, तो बाघों की संख्या भी बढऩे लगेगी। उनका कहना है कि कंजर्वेशन में बदलाव की जरूरत है। टाइगर की संख्या बढ़ रही है। लेकिन वन क्षेत्र सीमित है। ऐसे में टाइगर जंगल से बाहर आता है और हादसे का शिकार होता है।
* टाइगर रिजर्व के इनवायलेट एरिया के साथ ही बफर एरिया होना चाहिए।
* स्थानीय लोगों की टूरिज्म में भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
* इससे टाइगर के शिकार की घटनाओं पर नियंत्रण लगेगा।
तत्कालीन प्रधान मुख्य वन सरंक्षक वन्य प्राणी नरेंद्र कुमार ने एनटीसीए को जून, 2014 में पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि शहडोल, बिलासपुर, कटनी और उमरिया में रेलवे से चर्चा करके रेलों की गति धीमी किए जाने की बात कही। ताकि वन्य जीवों की सुरक्षा हो सके।
* उल्लेखनीय है कि फरवरी, 2016 में बरखेड़ा-बुदनी सेक्शन में 15 किमी वाले हिस्से में पांच-पांच फीट गार्ड फेंसिंग करने की योजना बनाई गई थी।
* 2016 में ही 32 बाघों की मौत हो गई। यह आंकड़ा देश में सबसे अधिक है। इससे पहले 2014 में वन विभाग के मुखिया ने एनटीसीए को पत्र लिखकर शहडोल, कटनी और उमरिया में ट्रेनों की गति धीमी करने का अनुरोध किया था। जिससे वन्य प्राणियों की सुरक्षा हो सके। यह भी खास बात है कि इसी साल बरखेड़ा से बुदनी सेक्शन के बीच 15 किलोमीटर के दायरे में पांच-पांच फीट फेंसिंग लगाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह अब तक अधर में है।
जानें ये फैक्ट भी
* प्रदेश में 100 से अधिक टाइगर कान्हा टाइगर रिजर्व में हैं।
* राजधानी भोपाल के आसपास ही हैं करीब 10 टाइगर।
* फॉरेस्ट एसटीएफ की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि तांत्रिकों के लिए भी बाघ-तेंदुए का शिकार किया जा रहा है।
* कान्हा-पेंच कॉरिडोर में एक माह में 3 बाघ और 4 तेंदुए का शिकार किया गया है। सिवनी-बालाघाट जिले में नवंबर में वन्य प्राणी शिकार को लेकर तैयार एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे सात प्रकरणों में चार तांत्रिक, 14 बिचौलिए और 21 शिकारी हैं।
* पूरे देश में 49 टाइगर रिजर्व हैं ।
* मप्र में 7 टाइगर रिजर्व हैं ।
* मध्यप्रदेश में 380 बाघ हैं।
* इस साल पूरे देश में 133 टाइगर मारे जा चुके हैं।
* प्रदेश में 32 टाइगर की इस साल मौत हुई हैं।
Hindi News / Bhopal / 2016: इस साल मरे 30 टाइगर, इन घटनाओं ने खड़े किए CM शिवराज पर सवाल