भोपाल। मध्यप्रदेश में चिकित्सा सुविधाएं पूरी तरह चरमरा चुकी हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है यहां डॉक्टर्स की कमी। दरअसल यहां जितने एलोपैथी डॉक्टर हैं, उतनी ही संख्या में आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टर भी हैँ, पर इन डॉक्टर्स को एलोपैथी डॉक्टर की तरह पैरासिटामोल जैसी दवाएं लिखने का अधिकार नहीं है। मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने अब एक नियम बदलते हुए इन डॉक्टर्स को भी एलोपैथी डॉक्टर्स की तरह कुछ अंग्रेजी दवाएं देने के अधिकार दिए हैं। आइए जानते हैं मध्यप्रदेश में डॉक्टर्स की स्थिति…
30 हजार की ग्रामीण आबादी पर एक डॉक्टर
मध्य प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या जरूरत से आधे से भी कम है। स्थिति यह है कि 7500 में से महज 3000 चिकित्सक ही काम कर रहे हैं। इसमें से भी 50 फीसदी बड़े शहरी क्षेत्रों और बाकी अन्य जिला अस्पतालों में पदस्थ हैं। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी 20 से 25 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर है।
फैक्ट फाइल: इतने डॉक्टर्स में क्या होगा?
30000 हजार की ग्रामीण आबादी पर एक डॉक्टर
14000 आयुर्वेद चिकित्सक प्रदेशभर में
3000 यूनानी चिकित्सक
700 हॉस्पिटल में डॉक्टर नहीं
50 फीसदी डॉक्टर बड़े शहरों में पदस्थ
ये निर्देश हुए जारी
सरकारी अस्पतालों के आयुर्वेद चिकित्सक भी एलोपैथी के तहत उपचार कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए इन चिकित्सकों को तीन माह की विशेष ट्रेनिंग लेनी होगी। यह टे्रनिंग 13 सितंबर से प्रदेश के विभिन्न जिला अस्पतालों में शुरू होगी। इस संबंध में शुक्रवार को निर्देश जारी किए गए।
इसलिए देना पड़ा अधिकार
दरअसल आयुष चिकित्सक लंबे समय से एलोपैथी पद्धति से उपचार करने की छूट देने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने पहले इन्हें एलोपैथी उपचार की छूट दे दी थी। हालांकि, इसके लिए दो माह की क्लीनिकल व एक माह की सैद्धांतिक ट्रेनिंग करनी होगी। जिन 700 आयुर्वेद डॉक्टरों की नियुक्तियां पीएससी के माध्यम से इस वर्ष की गई थीं, उन्हीं को एलोपैथी की ट्रेनिंग दिलाकर शासन प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजेगा, ताकि डॉक्टरों की कमी पूरी की जा सके।
सिर्फ प्राथमिक उपचार
भले ही आयुष चिकित्सकों को एलोपैथी उपचार की छूट मिल गई हो, लेकिन वे सिर्फ प्राथमिक उपचार ही कर सकेंगे। इसके तहत वे सिर्फ 45 तरह की दवाएं ही लिख सकेंगे। विशेषज्ञों की मानें तो सरकार के इस कदम से सर्वाधिक लाभ डॉक्टरविहीन ग्रामीण क्षेत्रों को होगा।
इनका कहना है..
शासन के इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं। इससे मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। वहीं आयुष चिकित्सकों को भी सुविधा होगी।
– डॉ. राकेश पांडेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आयुष मेडिकल एसोसिएशन
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