भोपाल। राज्य सरकार के संसदीय कार्य एवं जल संसाधन मंत्री नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य किए जाने संबंधी अधिसूचना प्रकाशित होने के एक सप्ताह बाद भी मामला फाइलों में कैद है। जिसके चलते मिश्रा एक बडी मुसीबत में फंस गए हैं,और इससे वे जल्द ही बाहर हो सकते हैं।
वहीं निर्णय विधानसभा और राजभवन को लेना है, लेकिन इस मामले में दोनों ही संवैधानिक संस्थाओं ने चुप्पी साधे रखी है।
वर्ष 2014 के चुनाव में मंत्री नरोत्तम पेड न्यूज के मामले में दोषी पाए गए। चुनाव आयोग ने 23 जून के फैसले में उनको अयोग्य घोषित करते हुए तीन साल के लिए चुनाव लडऩे पर पर रोक लगा दी है।
आयोग ने इसकी सूचना विधानसभा, राजभवन और राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को भेजी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय की जिम्मेदारी थी कि वह चुनाव आयोग के आदेश का राजपत्र में प्रकाशन करवाए। एक जुलाई को इसका राजपत्र में प्रकाशन करा दिया गया। अब बारी विधानसभा सचिवालय और राजभवन की है। राजभवन के अफसर इस मामले में चर्चा करने से बच रहे हैं।
स्पीकर को करना है निर्णय :
चुनाव आयोग के आदेश पर विधानसभा स्पीकर को निर्णय करना है। आयोग ने आदेश स्पीकर को भेजा था, तभी यह फाइल स्पीकर कार्यालय में ही लंबित है। स्पीकर ने अभी इस संबंध में विधानसभा सचिवालय को कोई निर्देश नहीं दिए हैं।
राष्ट्रपति को लिखा पत्र :
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राष्ट्रपति प्रणब को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि मध्यप्रदेश में नियमित राज्यपाल की नियुक्ति हो, जिससे मामलों का समय रहते निराकरण हो सके। उन्होंने मंत्री नरोत्तम का जिक्र करते हुए लिखा है कि चुनाव आयोग ने उन्हें अयोग्य घोषित करते प्रकरण राज्यपाल को भेज दिया है।
चूंकि राज्य में स्थाई राज्यपाल नहीं है इसलिए यह प्रकरण लंबित है। इस संबंध में विपक्ष भी उनसे भेंट करना चाहता है लेकिन संभव नहीं हो पा रहा है। वहीं सरकार में मंत्री रहते हुए वह भी संसदीय कार्य महकमा के मंत्री होने के बाद वे खुलेआम एक सर्वोच्च संवैधानिक संस्था के निर्णय का मखौल उड़ा रहे है।
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