भोपाल। पूरे देश में जारी होने वाली कई सूचियों में एक यही सूची ऐसी है, जिसमें कोई भी राज्य अपना नाम देखना नहीं चाहता। इसके बावजूद एमपी का नाम इस सूची में तो आया ही, साथ ही पहले स्थान पर नाम देख प्रदेश की बागडोर संभाल रहे जिम्मेदारों और हर नागरिक को शर्म महसूस होगी।
जी हां! ये सूची है उच्च शिशु मृत्युदर की। शिशु मृत्यु दर के मामले में MP की सबसे बदतर स्थिति है। यहां हर जन्म लेने वाले 1000 शिशुओं में से 52 शिशुओं को मौत की नींद सोना पड़ता है। हाल ही में लेटेस्ट सेम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम रिपोर्ट में यह भयानक सच सामने आया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक दो डरावने फैक्ट जानकर आप भी विचलित हो जाएंगे कि पिछले साल मध्यप्रदेश और असम एक ही पायदान पर थे। लेकिन इस बार कुछ सुधार के बाद असम एक पायदान नीचे खिसकते हुए दूसरे नंबर पर आ गया है। जबकि एमपी पहले नंबर पर। जबकि इस सूची में पिछले साल 19 राज्यों को शामिल किया गया था, पर इस साल इस सूची को छोटा करते हुए 11 राज्यों को शामिल किया गया। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि प्रदेश को छोड़कर अन्य 10 राज्यों में हेल्थ केयर सिस्टम प्रभावी रूप से कार्य कर रहा है।
एक्सपर्ट कहते हैं कि मध्यप्रदेश में कुछ तो ऐसा है जिसपर चिंतन की जरूरत है। वहीं सीनियर एनलिस्ट जीएस सचदेव का कहना है कि यह स्थिति बताती है कि हेल्थ केयर सिस्टम के तहत वास्तव में बहुत ज्यादा सुधार की जरूरत है।
केवल दो प्वॉइंट सुधार
प्रदेश में पिछले साल उच्च शिशु मृत्युदर का आंकड़ा 54 था, जो केवल दो प्वॉइंट कम होकर इस साल 52 पर आ टिका है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी बदतर है। यहां भी उच्च शिशु मृत्यु दर की स्थिति है। यहां प्रति हजार शिशुओ में 57 शिशुओं की मृत्यु हो जाती है। वहीं शहरों में यह आंकड़ा आंशिक सुधार के बाद 37 से 35 पर आया है। इनमें से ज्यादातर मौत का कारण चिकितसकीय लापरवाही ही सामने आई है।
असम और राजस्थान दूसरे नंबर पर
इस रिपोर्ट के मुताबिक असम और राजस्थान इस सूची में दूसरे नंबर पर हैं। यहां भी 1000 शिशुओं में से 52 शिशुओं की मौत हो जाती है।
लड़कियों की मृत्युदर का आंकड़ा और भी ज्यादा
प्रदेश में शिशु मृत्युदर का आंकड़ा प्रदेश को उच्च शिशु मृत्यु दर की श्रेणी में लाता है।
चौंकाने वाली बात यह भी है कि लड़कियों की शिशु अवस्था में ही मौत का आंकड़ा 53 है। यानी जन्म लेने वाली 1000 लड़कियों में से 53 शिशु लड़कियां मौत की नींद सो जाती है।
आखिर हम क्यों पिछड़े
बच्चों की हेल्थ और न्यूट्रिशन को लेकर काम कर रहे एक्टिविस्ट सचिन के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभागों में 60 फीसदी पद खाली पड़े हैं। पीने को पानी नहीं है। न्यूट्रिशियस डाइट नहीं है। ऐसे बहुत से कारण है जिसने प्रदेश को आइएमआर की सूची में टॉप पर ला दिया है।
उच्च शिशु मृत्युदर के मुख्य कारण
* एचआईएस 2013-14 उच्च शिशु मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण शिशुओं में होने वाला रक्त संक्रमण है।
इससे मानसिक विकार, निमोनिया जैसे अन्य गंभीर रोग हो जाते हैं।
* दूसरा बड़ा कारण जन्म के समय शिशु का वजन कम होना है।
एचएमआईएस के अनुसार वजन में कमी के कारण 26 फीसदी नवजातों की मौत हो जाती है।
प्रदेश शिशु मृत्युदर
मध्यप्रदेश 52
असम 49
ओडि़शा 48
उत्तर प्रदेश 48
राजस्थान 46
छत्तीसगढ़ 43
(आंकड़े प्रति 1000 जीवित नवजातों में से)
पिछले कुछ साल में MP में आंशिक सुधार दर्शाते आंकड़े
वर्ष शिशु मृत्युदर
2007 72
2008 70
2009 67
2010 56
2011 59
2012 56
2013 54
2014 52
Hindi News / Bhopal / MP में सबसे ज्यादा नवजातों की मौत, आंखें खोल देंगे ये FACT