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साहूकार ले रहे मप्र के किसानों की जान, मानव अधिकार आयोग की ये रिपोर्ट कर देगी हैरान

आयोग ने किसानों की मौत के मामलों पर जांच के लिए एक टीम का गठन किया था। टीम ने जांच के बाद आयोग को रिपोर्ट सौंपी जिसमें हुए इस खुलासे ने  प्रदेश में साहूकारी कानून की…

भोपालJul 13, 2017 / 11:50 am

sanjana kumar

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भोपाल। राज्य मानवाधिकार आयोग ने राजस्व विभाग को पत्र लिखकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। आयोग के मुताबि प्रदेश में किसानों की मौत के मामलों में साहूकारी को सबसे बड़ा कारण माना है। साहूकारों के दबाव में आकर किसानों की आत्महत्या के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। आयोग ने किसानों की मौत के मामलों पर जांच के लिए एक टीम का गठन किया था। टीम ने जांच के बाद आयोग को रिपोर्ट सौंपी जिसमें हुए इस खुलासे ने प्रदेश में साहूकारी कानून की सख्ती पर सरकारी दावों की पोल खोली दी। 

मानव आयोग की रिपोर्ट में खुली पोल

किसानों की मौत के मामलों की जांच के लिए मानव अधिकार आयोग ने एक टीम का गठन किया था। इस टीम ने किसानों की मौत को लेकर जांच कर रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट के बाद आयोग ने राजस्व विभाग को पत्र लिखा है। पत्र के मुताबिक मप्र में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं। हैरान करने वाला फैक्ट ये है कि किसानों की आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण साहूकारों का दबाव था। कर्ज में डूबे किसानों को साहूकारों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है। रिपोर्ट में साफ है कि प्रदेश में साहूकारी कानून का पालन करवाने में सरकार नाकाम साबित हुई है।

मप्र सरकार कहती है किसी ने कजज़् के बोझ तले आत्महत्या नहीं की लेकिन परिजनों का कहना है
कर्ज के दबाव में ही मौत को गले लगाया
 
केस 1 

पिछले महीने यानी जुलाई में मंदसौर जिले के ग्राम दोरवाड़ी में एक किसान ने साहूकारों से परेशान होकर सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली। 1 जुलाई की अल सुबह 4 बजे ग्राम दौरवाड़ी के निवासी लक्ष्मणसिंह पिता रामसिंह सोंधिया राजपूत (45) ने सल्फास खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। जिसके बाद उन्हें जिला चिकित्सालय से उदयपुर रैफर किया गया था। जहां रात में उनकी मौत हो गई। पीएम के पहले तलाशी के दौरान मृतक की जेब से 9 पेज का सुसाइट नोट मिला था। इसमें साहूकारों को कुछ रकम के बदले 14.60 लाख रुपए चुकाने का जिक्र किया गया था।

केस 2

बुधनी के जिस किसान ने खुदकुशी की उस पर दबाव बनाने का आरोप मृतक के बेटे ने बीजेपी के स्थानीय नेता पर लगाया। 
55 साल के शत्रुघ्न मीणा बुधनी के गुआडिय़ा गांव में रहते थे, बेटी की शादी और फसल के लिए लिया कर्ज 10 लाख का हो गया। बिजली के स्थाई कनेक्शन के लिए तहसील दफ्तर गए तो पता लगा जिस जमीन को अपना मान रहे हैं उस पर कब्जा हो चुका है। दबाव में उन्होंने सल्फास खाकर मौत को गले लगाया।

जून में किसान आंदोलन के बाद भी किसानों ने की खुदकुशी

आपको बता दें कि मप्र का नाम किसानों की आत्महत्या के मामले में बदनाम है। इस वर्ष भी पिछले माह जून में शुरू हुआ किसान आंदोलन हिंसक और उग्र हो चुका था। इस दौरान कई किसानों ने आत्महत्या की। इस दौरान विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि किसान आंदोलन के बाद प्रदेश में अब तक 50 किसान खुदकुशी कर चुके हैं। गौरतलब है कि किसान आंदोलन के दौरान 6 जून को भड़की हिंसा के चलते पुलिस की गोली से 5 किसानों की मौत भी हो गई थी। 

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