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भोपाल

भगवान विष्णु का चमत्कारी मंदिर, जहां दसों अवतारों के एक ही जगह होते हैं दर्शन

यहां पर यक्ष-यक्षिणियों, देवी-देवताओं के साथ ही तोरणद्वार के दोनों स्तंभों पर विष्णु के 5-5 अवतारों का अंकन है। 

भोपालJul 02, 2017 / 02:58 pm

दीपेश तिवारी

tample at vidisha

hindola toran


भोपाल। मध्यप्रदेश में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है,जिसमें न केवल आज तक भगवान द्वारा लिए गए अवतारों का चित्रण है। बल्कि भविष्य में होने वाले भगवान के कल्की अवतार का भी चित्रण किया गया है।

दरअसल पुराणों में भगवान विष्णु के दस अवतारों का उल्लेख है। ऐसे में हर हिन्दु भगवान के इन दसों अवतार के दर्शन करना चाहता है।
जब भी कोई इन दस अवतारों के एक साथ दर्शन करना चाहता है तो 9 वीं 10 वीं शताब्दी के अनूठे स्मारकों का जिक्र जरूर आता है। 



दरअसल हम बात कर रहे है विदिशा से मात्र 38 किमी दूर ग्यारसपुर में बने स्मारक की। जो हिण्डोला तोरण द्वार के नाम से विख्यात है। इस पुरास्मारक में भगवान विष्णु के किसी प्राचीन और भव्य मंदिर का अब तोरणद्वार ही शेष है। इसी तोरणद्वार पर भव्य पाषाण शिल्प के बीच स्थित है भगवान विष्णु के दस अवतारों का चित्रण।


चार स्तंभों का है मंडप
ग्यारसपुर में विख्यात मालादेवी मंदिर के मार्ग पर हिंडोला तोरण द्वार और मंडप पर्यटकों को अचानक ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन यह स्मारक अतीत के किसी अत्यंत भव्य और विशाल विष्णु मंदिर के अवशेषों की गवाही देता है।




मंदिर की सीढिय़ों पर शंख का उत्कीर्ण होना भी इसका प्रमाण है। यह स्मारक नवीं-दसवीं शताब्दी का है। मंदिर के नाम पर अब यहां सिर्फ जीर्ण-शीर्ण खंडहर और चार स्तंभों का मंडप ही दिखाई देता है, जिनमें आकर्षक कलाकृतियां उ​केरी हुई हैं। ऐसे में माना जाता है कि हिण्डोला तोरणद्वार भी इसी भव्य मंदिर का प्रवेश द्वार रहा होगा।

भगवान विष्णु के अवतार
ग्यारसपुर का यह हिण्डोला तोरणद्वार भगवान विष्णु के दशावतारों का गुणगान करता प्रतीत होता है। पाषाण शिल्प के इस नायाब नमूने पर यक्ष-यक्षिणियों, देवी-देवताओं के साथ ही तोरणद्वार के दोनों स्तंभों पर विष्णु के 5-5 अवतारों का अंकन है। 





ये अवतार चारों दिशाओं में दिखाई देते हैं। एक स्तंभ की एक दिशा में मत्स्य और कच्छप अवतार को संयुक्त रूप से दर्शाया गया है तो दूसरी दिशा में वामन अवतार, तीसरी में वराह और चौथी में नरसिंह अवतार उत्कीर्ण है। इसी तरह दूसरे स्तंभ पर परशुराम, राम, कृष्ण अंकित हैं। चौथी दिशा में भगवान बुद्ध और कल्कि अवतार संयुक्त रूप से उत्कीर्ण हैं।

पत्थरों पर खूबसूरत कारीगरी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इस स्मारक को देखकर परमारकाल के आसपास के मंदिरों के महत्व और उस समय की स्थापत्य कला की उत्क्रष्ता का पता चलता है। यहां एक-एक सिरे और पत्थर पर उकेरे गए शिल्प को देखें तो हर पत्थर कुछ बोलता सा प्रतीत होता है। वहीं अवशेष भी सदियों पहले रही यहां की भव्यता की गाथा सुनाते से प्रतीत होते हैं।

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