भोपाल। सावन के महीने में घर में किसी भी प्रकार की नोंक—झोंक को अनुचित माना जाता है साथ ही यह भी कहा जाता है कि इन दिनों घर में किसी भी बडे से बहस करने से ही स्वयं भगवान शिव तक नाराज हो जाते हैं। अत: इस माह में घर में शांति बनी रहना जरूरी है।
सामान्यत: किसी भी घर में नए सदस्य का जुडना एक अहम प्रक्रिया है। लेकिन नए सदस्य का आना घर से जुडी कई चीजों को प्रभावित तो करता ही है साथ ही ग्रहों के प्रभाव को भी अपने साथ लाता है। जिसके चलते ज्योतिष के अनुसार घर पर हो रहे अभी तक ग्रहों के प्रभावों में परिवर्तन को देखा जाता है। कई बार नए सदस्य के ग्रह घर को इस कदर प्रभावित करते हैं कि ये कभी घर को जोडने तो कभी तोडने तक का यह कार्य करते हैं।
अधिकतर विवाह के मामले में यह माना जाता है कि शादी के दिन से 16 दिन के भीतर सम दिनों में या फिर 5वें, 7वें अथवा 9वें दिन नववधू का गृहप्रवेश शुभ होता है। वहीं ज्योतिषों का भी मानना है कि यह जान लेना बेहद जरूरी है कि किस दिन नई दुल्हन को गृह प्रवेश कराएं, ऐसा करने पर आपके घर में समृद्धि शांति और धन का वास होगा। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इसके तहत हमें कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए…
दांपत्य जीवन सुखी रखने के लिए ये करें…
– नई दुल्हन को किसी विशेष मुहूर्त में गृह प्रवेश कराने से दांपत्य जीवन सुखी रहता है और घर में नोक-झोंक जैसी नौबत नहीं आती है।
– मुहूर्त के बारे में शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि शादी के दिन भी उन्हें गृहप्रवेश कराएं यह समय भी उत्तम रहता है।
– विवाह के 16 दिनों के भीतर प्रवेश के लिए चंद्रबल, गुरु शुक्र अस्त आदि दोष, सम्मुख दक्षिणस्थ शुक्र दोष आदि का विचार नहीं किया जाता है।
– भद्रा या अन्य दोष शुभ कार्यों में वर्जित माने गए हैं। 16 दिन के बाद सभी प्रकार के दोषों को ध्यान में रखते हुए घर में नई दुल्हन का प्रवेश कराना चाहिए।
सम और विषम दिनों का रखें ध्यान
यदि विवाह के 16 दिन के भीतर नई दुल्हन का प्रवेश अपने ससुराल के घर में संभव नहीं हो पाए तो, 16 के बाद एक मास तक विषम दिनों में, 1 माह के बाद 1 वर्ष तक विषम मास में और वर्ष के अंत, 5 वर्ष बाद विषम वर्ष में नई दुल्हन का प्रवेश कराना चाहिए। वहीं रात के समय स्थिर लग्न अथवा स्थिर नवमांश में वधू प्रवेश शुभ माना जाता है।
इन सभी के अलावा किसी नई दुल्हन को गृह प्रवेश कराने के लिए किसी विषय विशेषज्ञ ज्योतिर्विद की मदद ले सकते हैं। ऐसा करेंगे तो न होंगे तलाक और न ही घर में नोक-झोंक होगी।
यदि जन्मकुंडली में है ऐसा तो हो सकता है तलाक…
किसी भी लड़की या लड़के के लिए, विवाह एक बंधन होता है। ऐसे में विवाह काफी सोच-समझकर करना चाहिए। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऐसे में विवाह के पहले विवाह योग्य लोगों की जन्मकुंडली जरूर मिलानी चाहिए।
वह इसलिए कि जन्मकुंडली में ऐसे कई दोष होते हैं। जो वैवाहिक जीवन में काफी असर डालते हैं। कई बार बिना जन्मकुंडली देखे विवाह कर दिया जाने पर तलाक जैसी विषम परिस्थितियां भी बन सकती हैं।
ज्योतिष के अनुसार राहू के सप्तम भाव में होने का अर्थ है कि आप अपनी पत्नी से दूर रहेंगे या आपका अपनी पत्नी से बिछड़ना संभव है। यानि यदि आपकी कुण्डली में अलगाव का यह योग है तो वह और भी प्रबल हो जाएगा वहीं यदि राहू को सूर्य का साथ मिल जाए। तो ऐसे में तलाक का योग बनता है।
यह रहती हैं संभावनाएं…
– यदि लड़के या लड़की की जन्म कुंडली के 7वें भाव में स्थित 12 भाव के स्वामी से राहु की युति हो तो तलाक होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं।
– कुंडली के 12वें भाव में बैठे 7वें भाव के स्वामी से राहु की युति हो तो तलाक हो सकता है।