भोपाल। सावन भगवान शिव का अति प्रिय मास है। इस बार सावन का महीना 10 जुलाई से शुरु हो गया है, ये सावन पूर्णिमा यानि
रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगा। वहीं दूसरी ओर पहाडी समाज में आज यानि 16 जुलाई (रविवार) को सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश (हरेला) के साथ ही सावन माह की शुरूआत हो रही है।शास्त्रों में कहा गया है कि सावन का महीना भगवान शिव का महीना होता है।
मान्यता है कि इस महीने में भगवान विष्णु पाताल लोक में रहते हैं, इसी वजह से इस महीने में भगवान शिव ही पालनकर्ता होते हैं और वहीं भगवान विष्णु के भी कामों को देखते हैं, यानि सावन के महीने में त्रिदेवों की सारी शक्तियां भगवान शिव के पास ही होती है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार सावन में कुछ कार्य निशिद्ध माने जाते हैं और करने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं।
यह होते हैं फायदे:
1. सावन में रोज शिवजी का जलाभिषेक करने से कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं। शास्त्रों के मुताबिक श्रावण में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके शिव का जलाभिषेक करना चाहिए। देर तक सोने से शुभ अवसर निकल जाते हैं। जिससे शिव की कृपा नहीं मिल पाती है।
2. सावन का महीना शिव का महीना है, इसलिए शिव के भक्तों का सम्मान शिव की सेवा के समान ही फलदायी होता है, इसी वजह से कई लोग कांवड़ियों की सहायता करते हैं।
यह कदापि न करें:
1. परिवार में कलह तो दुखद ही होता है। लेकिन,सावन माह में जीवनसाथी के साथ खट-पट, वाद-विवाद और अपशब्दों का प्रयोग नुकसानदायक होता है। इन दिनों शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना से दांपत्य जीवन में मधुरता बढ़ती है। इसलिए जब मन-मुटाव की नौबत आए तो शिव-पार्वती का पूजन करना चाहिए।
2. सावन शिव का माह है, इसलिए शिव भक्तों का अपमान भी कभी नहीं करना चाहिए। शिव के भक्तों का सम्मान शिव की सेवा के समान ही माना गया है। इस वजह से कई लोग कांवड़ियों की सहायता करते हैं।
3. इस पूरे माह व्यक्ति को सात्विक जीवन बिताना चाहिए। क्योंकि शिवजी इन दिनों विष्णु के कार्य संभालते हैं, इसलिए सावन में मांस, मदिरा का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
इनसे दूर रहेंगे तो मन में शांति रहेगी, वहीं गुस्से पर कंट्रोल भी आसानी से कर पाएंगे।
4. शास्त्रों में बताया गया है कि श्रावण मास में दूध का सेवन ठीक नहीं होता है। यही कारण है कि इसीलिए भगवान शिव अभिषेक दूध से करने का विधान बताया गया है। दूध से दूर रहने पर वात संबंधी रोग नहीं होते हैं।
5. श्रावण मास के दौरान बैंगन नहीं खाना चाहिए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है, इसलिए द्वादशी, चतुर्दशी के दिन और कार्तिक माह में भी खाने को प्रतिबंधित किया गया है।
6. इस माह साग का सेवन भी शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं माना गया है। माना जाता है कि इसके सेवन से सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
7. सावन में नंदी यदि घर के दरवाजे पर आए तो उसे भगाने की बजाय कुछ खाने को देना चाहिए। नंदी को मारना शिव की सवारी का अपमान करना माना गया है।
8. क्रोध में अपशब्द भी किसी को नहीं करना चाहिए, वहीं बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए। इससे शिवजी प्रसन्न होते हैं।
50 साल बाद बन रहा है ये संयोग:
इस बार भगवान शिव का प्रिय मास सावन में 50 साल बाद विशेष संयोग बन रहा है। खास यह कि सोमवार से इस माह की शुरुआत हो रही और समापन भी सोमवार को ही होगा। यह काफी शुभ फलदायक है। 10 जुलाई से सावन की शुरुआत होगी और 7 अगस्त को
रक्षाबंधन यानी सावन पूर्णिमा है।
पंडित सुनील मिश्रा के अनुसार काफी सालों बाद इस बार
सावन मास में पांच सोमवार हैं। खास बात यह कि वैधृति योग के साथ सावन प्रारंभ हो रहा है और आयुष्मान योग के साथ इस मास की समाप्ति। सोमवार,
सावन मास, वैधृति योग व आयुष्मान योग सभी के मालिक स्वत: शिव ही हैं। इसलिए इस बार का सावन खास है।
पुराणों के अनुसार सावन में भोले शंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। खासकर सोमवार के दिन महादेव की आराधना से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं। इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। निर्धन को धन और नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। बाबा भोले की पूजा से भाग्य पलट सकता है।
सावन में सोमवार का है विशेष महत्व:
पं. शर्मा के मुताबिक
सावन मास में प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व है। अमूमन सावन में चार सोमवार होते हैं, लेकिन इस बार पांच सोमवार हैं। सभी सोमवार की पूजा के लिए मंत्र अलग-अलग हैं।नियमपूर्वक पूजा करने से औघड़दानी की कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है।
1. पहली सोमवार को महामायाधारी की पूजा: – सावन की पहली सोमवार को महामायाधारी भगवान शिव की आराधना की जाती है। पूजा क्रिया के बाद शिव भक्तों को ‘ऊं लक्ष्मी प्रदाय ह्री ऋण मोचने श्री देहि-देहि शिवाय नम: का मंत्र 11 माला जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से लक्ष्मी की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ऋण से मुक्ति मिलती है।
2. दूसरे सोमवार को करें महाकालेश्वर की पूजा:- दूसरी सोमवार को महाकालेश्वर शिव की विशेष पूजा करने का विधान है। श्रद्धालु को ‘ऊं महाशिवाय वरदाय हीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय नम: मंत्र का रुद्राक्ष की माला से कम से कम 11 मामला जाप करना चाहिए। महाकालेश्वर की पूजा से सुखी गृहस्थ जीवन, पारिवारिक कलह से मुक्ति, पितृ दोष व तांत्रिक दोष से मुक्ति मिलती है।
3. तीसरे सोमवार को अर्द्धनारीश्वर की पूजा:- सावन की तृतीय सोमवार को अर्द्धनारीश्वर शिव का पूजन किया जाता है। इन्हें खुश करने के लिए ‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नम: मंत्र का 11 माला जाप करना श्रेष्ठ माना गया है।
इनकी विशेष पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।
4. चौथे सोमवार को तंत्रेश्वर शिव की आराधना:- चौथे सोमवार को तंत्रेश्वर शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन कुश के आसन पर बैठकर ‘ऊं रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट् मंत्र का जाप 11 माला शिवभक्तों को करनी चाहिए। तंत्रेश्वर शिव की कृपा से समस्त बाधाओं का नाश, अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
5. पांचवें सोमवार को शिव स्वरूप भोले की पूजा: – पांचवें सोमवार को श्री त्रयम्बकेश्वर की पूजा की जाती है। वैसे साधन को जो सावन में किसी कारण कोई सोमवारी नहीं कर पाते हैं उन्हें पांचवी सोमवारी करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसमें रुद्राभिषेक, लघु रुद्री, मृत्युंजय या लघु मृत्युंजय का जाप करना चाहिए।
ये है पूजन विधि :-
गंजा जल, दूध, शहद, घी, शर्करा व पंचामृत से बाबा भोले का अभिषेक कर वस्त्र, यज्ञो पवित्र, श्वेत और रक्त चंदन भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब पुष्प, बिल्वपत्र, धतुरा, बेल फल, भांग आदि चढ़ायें। उसके बाद घी का दीप उत्तर दिशा में जलाएं। पूजा करने के बाद आरती कर क्षमार्चन करें।
शिव पूजा से मिलने वाले फल-
1. इससे रोगों से मुक्ति मिलती है।
2. शरीर में अद्भूत ऊर्जा की अनुभूति होती है।
3. शक्ति में बढ़ोतरी होती है।
4. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
5. अकाल मृत्यु और भय से मुक्ति मिलती है।
6. कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर की प्राप्ति होता है।
7. नवीन कार्य की पूर्ति होती है।
8. ग्रहों से शांति होती है।
9. संतान सुख की प्राप्ति होती है।
10. आरोग्यता आती है।
11. नौकरी की प्राप्ति होती है।
12. समस्ता बाधाओं से मुक्ति होती है।
पंडित शर्मा के अनुसार भोपाल या अन्य क्षेत्रों में जहां चंद्र गति के हिसाब से सावन मनाया जाता है वहां के लिए ये हैं खास तिथियां: – 10 जुलाई : पहली सोमवार, 17 जुलाई : दूसरा सोमवार, 24 जुलाई : तीसरा सोमवार, 31 जुलाई : चौथा सोमवार, 07 अगस्त: पांचवां सोमवार।