भोपाल। हाल ही में मध्यप्रदेश, बिहार,झारखंड और उत्तरप्रदेश में आकाशीय बिजली गिरने से 112 लोगों की मौत हो गई। बिहार में बिजली गिरने से सबसे ज्यादा 57 मौतें हुई जबकि यूपी में 43, झारखंड में 7, और एमपी के श्योपुर और बुरहानपुर जिले में 5 लोगों की मौत की खबर है।
ऐसा अक्सर देखने को मिला है कि मानसून के दस्तक देते ही या फिर उसके आसपास आकाशीय बिजली जैसी आपदा का प्रकोप बढ़ जाता है। ऐसे में एक सवाल मन में उठता है कि आखिर क्यों आकाशीय बिजली धरती पर गिरती है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
ऐसे समझें क्या है आकाशीय बिजली
-आसमान में बादलों के आपस में टकराने से घर्षण पैदा होता है।
-बर्फ के इन कणों के टकराने के बाद उनमें इलेक्ट्रिकल चार्ज आ जाता है।
-फिर विपरीत चार्ज वाले कण एक दूसरे से अलग होने लगते हैं और इलेक्ट्रिकल फील्ड तैयार हो जाता है।
-उस घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह कंडक्टर की तलाश करती है।
-आसान शब्दों में कहें तो यह आसमान में बहुत बड़ा इलेक्ट्रिक स्पार्क है।
-इससे धरती और बादलों के बीच इलेक्ट्रिकल चार्ज बिगड़ जाता है।
ऐसे पहुंचती है धरती पर
-घर्षण से पैदा हुए बिजली का प्रवाह आसमान की बूंदों में भी नाकाफी होता।
-जिससे वह कंडक्टर (संचालक) के लिए वह धरती पर पहुंचती है।
-अब धरती पर यह बिजली ऐसे माध्यम को तलाशती है जिससे वह गुजर सके।
-यदि आकाशीय बिजली किसी बिजली के खंभे या लोहे की छड़ के संपर्क में आती है वह उसके लिए कंडक्टर का काम करता है।
-ऐसे में उस वक़्त यदि कोई इंसान वहां से गुजर रहा होता है तो वो भी उसकी चपेट में आ जाता है।
बिजली गिरने पर क्या होता है
-दोपहर में इसके गिरने की अधिक आशंका होती है।
-यह इंसान के सिर, कंधे और गले पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है।
-इससे किसी के दिल की धड़कन रूक सकती है या फिर उनके अंदरूनी अंग जल सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
-बिजली गिरने के बाद तुरंत बाहर न निकलें. अधिकाशं मौतें तुफ़ान गुज़र जाने के 30 मिनट बाद तक बिजली गिरने से होती हैं।
-अगर किसी पर बिजली गिर जाए, तो फ़ौरन डॉक्टर की मदद लें।
-बिजली गिरने से अकसर दो जगहों पर जलने की आशंका रहती है।
-वो जगह जहां से बिजली का झटका शरीर में प्रवेश किया और जिस जगह से उसका निकास हुआ जैसे पैर के तलवे।
-अगर बादल गरज रहे हों, और आपके रोंगटे खड़े हो रहे हैं तो ये इस बात का संकेत है कि बिजली गिर सकती है। ऐसे में नीचे दुबक कर पैरों के बल बैठ जाएं।
-अपने हाथ घुटने पर रख लें और सर दोनों घुटनों के बीच. इस मुद्रा के कारण आपका ज़मीन से कम से कम संपर्क होगा।
-छतरी या मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल न करें, पेड़ के नीचे या खुले मैदान में ना जाएं।
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