भोपाल। हमारा देश परम्परओं और संस्कृति का धनी देश है। कुछ परम्पराएं तो ऐसी हैं जिन्हें वैज्ञानिकों भी सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए आवश्यक माना है। ऐसी एक परम्परा देखने को मिलती है त्योहारी सीजन से। जब हर त्योहार नए-नए पकवानों के बीच खीर और पूरी का संगम रिश्तों में मिठास घोलता था। एक बुजुर्ग महिला शकुंतला देवी कहती हैं अब खीर की जगह तरह-तरह की मिठाइयों ने ले ली है। जबकि इस परंपरा के फैक्ट जानकर आप भी फिर से बनाने लगेंगे स्वादिष्ट और हेल्दी खीर…
शकुंतला कहती हैं…
* एक दौर ऐसा था जब
रक्षाबंधन पर तरह-तरह के पकवान के साथ खीर बनाने की परंपरा थी।
* फिर श्राद्ध और उसके बाद बीच-बीच में पडऩे वाले छोटे-बड़े त्योहारों के साथ दीवाली तक खीर बनाने का सिलसिला चलता रहता था।
* ये परंपरा उनके जमाने से नहीं बल्कि उनकी दादी-नानी के जमाने से भी पुरानी है।
* वे बताती हैं कि उन्होंने अपने घर-परिवार में
रक्षाबंधन पर अलग-अलग पकवानों के साथ मीठे के रूप में खीर ही बनते देखी।
* चावल की ये खीर वे और उनके भाई-बहिन पूरी के साथ खाते थे।
* चूंकि उस वक्त बाहर की चीजें घर में नहीं आती थीं, तो खीर-पूरी खाने में जो आनंद आता था वो आज भी नहीं भूलतीं।
* वे कहती हैं कि उनकी दादी हमेशा यही कहती थीं खीर-पूरी खाने वाले को कभी मक्खी-मच्छर परेशान नहीं करते।
* बड़े हुए तो दादी से पता चला कि मान्यता है यदि इस बरसाती मौसम में और उसके बाद आने वाले मौसम में मच्छरों से होने वाली बीमारियां खीर-पूरी खाने वालों से दूर रहती हैं।
* उनकी बात मानकर वे और उनके बहन भाई सोचते थे कि हम सब कितने हेल्दी हो गए खीर खाकर, कभी बीमार नहीं पड़ते।
* बाद में इस खीर-पूरी की परंपरा को विज्ञान ने भी माना।
* आपको जानकर हैरानी होगी कि पूर्वजों की बनाई ये खीर-पूरी खाने की परंपरा खासतौर पर मलेरिया के मच्छरों का असर कम करती है।
* शकुंतला देवी कहती हैं कि इस मौसम में बनाई जाने वाली खीर में मेवों का प्रयोग नहीं किया जाता, क्योंकि इनकी तासीर गर्म होती है, जो पित्त की समस्या बढ़ाते हैं। इसलिए इस मौसम में बनाई जाने वाली खीर में सिर्फ इलायची डाली जाती है।
Hindi News / Bhopal / इस सीजन में जरूर खाएं खीर-पूरी, मच्छर कभी नहीं करेंगे बीमार