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भोपाल

जब कृष्ण ने पी लिया गरम दूध, तो राधा को पड़ गए छाले

mp.patrika.com जन्माष्टमी के मौके पर बताने जा रहा है राधा और कृष्ण के प्रेम का वह भाव, जो बताता है कि स्वच्छ मन और समर्पण भाव से किया गया प्रेम अमर हो जाता है…।

भोपालAug 24, 2016 / 04:13 pm

Manish Gite

story of lord krishna and radha

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mp.patrika.com जन्माष्टमी के मौके पर बताने जा रहा है राधा और कृष्ण के प्रेम का वह भाव, जो बताता है कि स्वच्छ मन और समर्पण भाव से किया गया प्रेम अमर हो जाता है…।

श्रीकृष्ण की कई लीलाएं हैं। उनमें राधा-कृष्ण प्रेम की भी लीलाएं हैं। उनमें से एक यह है कि जब श्रीकृष्णजी को गरम दूध दिया गया, तो राधा को छाले के त्रास से गुजरना पड़ा। यह भी बताया जाता है कि श्रीकृष्णजी की हर सांस में राधा बसी हुई थीं। कुछ भी खाते-पीते भी वे राधे-राधे बोला करते थे।

एक दिन रुक्मणी ने भोजन के बाद किशनजी को दूध पीने के लिए दिया। दूध इतना ज्यादा गरम था कि श्रीकृष्ण के हृदय तक गरम लगा। इसी दौरान उनके श्रीमुख से निकल पड़ा- हे राधे।



रुक्मणी ने यह शब्द सुन लिए और वे बोलीं-प्रभु, ऐसा क्या है राधाजी में जो आपकी हर सांस के साथ उनका ही नाम निकलता है। मैं भी तो आपसे असीम प्रेम करती हूं। फिर भी आप मुझे नहीं पुकारते, क्यों?

इस पर किशनजी बोले-देवी, आप राधा से मिल चुकी हैं? इतना कहते हुए किशनजी मंद-मंद मुस्कुराने लगे।

अगले ही दिन रुक्मणी से रहा न गया और वे राधा से मिलने उनके महल तक पहुंच गई। राधाजी के कक्ष के बाहर अत्यंत ही खूबसूरत स्त्री को देखा। उसके मुख पर तेज था। रुक्मणी उस स्त्री के पास गई और चरण छूने लगी। तभी वह बोलीं- कौन हैं आप। तब रुक्मणी ने अपना परिचय देते हुए आने का कारण बताया। वह वो बोलीं मैं तो राधाजी की दासी हूं। राधाजी को आपको सात द्वार के बाद मिलेंगी। रुक्मणी ने एक-एक करके सात द्वार पार किए। इस दौरान हर द्वार पर एक से एक सुंदर और तेजवान दासी को देख सोच रही थी कि यदि उनकी दासियां इतनी रूपवान हैं तो राधारानी कितनी रूपवान होंगी।

जब रुक्मणी राधाजी के कक्ष में प्रवेश करती हैं तो वे राधाजी के तेजस्वी स्वरूप, मुख पर सूर्य से तेज चमक देख उनके चरणों में गिर गई। लेकिन, इस दौरान राधाजी के पूरे शरीर पर छाले देख वे हैरान रह गई।

रुक्मणी ने पूछ ही लिया कि देवी आपके शरीर पर यह छाले क्यों हो गए ? तब राधाजी बोलीं- देवीं, कल आपने कृष्णजी को जो दूध दिया था, वह काफी गर्म था। जिससे उनके हृदय पर छाले पड़ गए। और, उनके हृदय में तो सदैव मेरा वास है…।

(भगवान श्रीकृष्ण और राधा के अमर प्रेम की यह रोचक कहानी सोशल मीडिया से ली गई है। इसमें mp.patrika.com कोई दावा नहीं करता है।)

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