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भोपाल

RSS होमोसेक्सुअलिटी को नहीं मानता अपराध, यूथ बोला ‘यही है आजादी’

RSS के बयान पर MP में भी चली बहस, patrika.com के रीडर्स ने बेबाकी से बताए अपने विचार…कहा- हर किसी को अपने अधिकार और स्वतंत्र लाइफ जीने का है अधिकार…।

भोपालMar 18, 2016 / 02:19 pm

Manish Gite

Gay sex

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RSS के बयान पर MP में भी चली बहस, patrika.com के रीडर्स ने बेबाकी से बताए अपने विचार…कहा- हर किसी को अपने अधिकार और स्वतंत्र लाइफ जीने का है अधिकार…।

नई दिल्ली/भोपाल. समलैंगिक संबंधों को लेकर RSS एक फिर एक बड़ा बयान दिया है। संघ ने होमोसेक्सुअल रिलेशनशिप को CRIME की कैटेगरी से हटाए जाने की वकालत की है। संघ का कहना है कि किसी का भी सेक्स चुनाव तब तक अपराध नहीं है, जब तक वह दूसरों के जीवन पर असर नहीं डालता है। RSS के इस बयान के बाद देशभर में होमोसेक्सुअलिटी को गैर आपराधिक कराने की बहस और भी तेज हो गई है।

RSS के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसाबले ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि समलैंगिकता पर RSS की राय क्यों होनी चाहिए? जब तक दूसरों के जीवन पर असर नहीं डालती तब तक यह अपराध नहीं है। दत्तात्रेय ने कहा कि सेक्स चुनाव किसी का भी निजी मसला होता है।

संघ की तरफ से यह बयान आने के बाद ऐसी उम्मीद करना स्वाभाविक है कि सरकार IPC की धारा 377 को रद्द करने की कोशिश कर सकती है। इसी धारा के तहत समलैंगिकता को अपराध माना जाता है। पिछले माह समलैंकिगता को गैर आपराधिक बनाने के लिए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा में प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन BJP सांसदों के विरोध के चलते सदन ने उसे स्वीकार नहीं किया।


महिलाएं भी बनेंगी RSS का हिस्सा
होसबोले ने यह भी बताया कि महिलाएं भी RSS की फील्ड एक्टिविटी और शाखाओं में भाग ले सकती हैं। यह अगले साल से होगा। जबकि कई महिलाएं संघ की सोशल एक्टिविटीज में बाग लेती हैं, लेकिन उन्हें शाखाओं में प्रवेश की अनुमति नहीं रहती है।


क्या कहते हैं मध्यप्रदेश के लोग

नजरिया बदलने की जरूरत
हम आज के भारत में रह रहे हैं, यह वो भारत है, जो पुरानी रूढ़ीवादी परंपरा से बाहर आ चुका है। नई सोच है, नए इरादे हैं। इंसान को इंसान की नजर से देखें, न कि उसकी प्राकृतिक कमी के कारण उसे दोष दें। हमें आज ही अपना नजरिया बदलना होगा। ताकि आने वाला समय ऐसे लोगों के लिए सुखदायी हो।
-पियूष सरवरिया, साफ्टवेयर इंजीनियर, भोपाल

सोच बदलना होगी
मेरे पास बैंक में सैकड़ों रोज आते हैं। पर मैं उनसे कभी नहीं पूछता कि वे कौन है। महिला हैं, पुरुष है, गै है लेस्बियन है होमो सेक्सुअल है। किसी भी आधिकारिक पैपर पर ऐसा कभी नहीं पूछा जाता कि उस मनुष्य की प्रकृति क्या है। जब देश आजाद हुआ, उस समय भी ऐसे लोग थे। पर उन्हें समाज में समानता मिली हुई थी। आज कुछ एक लोग मिलकर ऐसे लोगों को समाज से बाहर करना चाहते हैं। उनके अधिकारों से वंचित रखना चाहते हैं। ऐसी मानसिकता समाज को दूषित करेगी और बच्चों का भविष्य अंधकार में डालेगी।
-विवेक तिवारी, अकाउंटेंट, एसबीआई, भोपाल

जीने की हो आजादी
हर मानव को अपना जीवन जीने के अधिकार हैं। पर्सनल लाइफ कोई किस तरीके से जीता है, उसे उसकी आजादी मिलना चाहिए। यह कुदरत की नेमत है। यदि समलैंगिक लोगों में आकर्षण है तो उन्हें अपनी लाइफ जीने की पूरी स्वतंत्रता मिलना चाहिए।
-रूपेश सारस्वत, जीएसआईटीएस, इंदौर

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