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भोपाल

#HOLI: जानिएं, रिश्तेदारों के कौन से अंगों पर लगाएं स्नेह का रंग

यदि आप जान जाएंगे कि किस रिश्तेदार के कौन से अंग पर लगाए रंग, तो आप के रिश्ते मजबूत हो जाएंगे। लेकिन, लगाएं आदर, सत्कार और मान सम्मान के साथ…। फिर देखें रिश्तों में कैसी घुलती है मिठास।

भोपालMar 22, 2016 / 09:36 am

Manish Gite

holi with your family

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होली का पर्व रिश्तों में आई खटास को दूर कर देता है। यह परिवार के सभी सदस्यों को एक सूत्र में पिरा देता है। लेकिन जरूरी है कि रिश्तों का महत्व समझें और जो होली पर दूरियां घट गई हैं तो उसे बनाए रखे।

हंसी-खुशी और मिलजुलकर अपनों को मान सम्मान दें। हम यहां बताने जा रहे हैं कि होली पर अपने रिश्तेदारों को स्नेह से रंगने के तरीके। हर रंग का अपना महत्व होता है, उसी प्रकार हर रिश्ते का अपना महत्व होता है।

यदि आप जान जाएंगे कि किस रिश्तेदार के कौन से अंग पर लगाए रंग, तो आप के रिश्ते मजबूत हो जाएंगे। लेकिन, लगाएं आदर, सत्कार और मान सम्मान के साथ…। फिर देखें रिश्तों में कैसी घुलती है मिठास।



माताः पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें हल्का सा रंग लगा सकते हैं।
पिताः खुद आगे बढ़कर होली के दिन सुबह-सुबह पैर छूकर अपनी पिता की छाती पर गुलाल लगा दें, फिर देखें आपके पिता की छाती कितनी चौड़ी हो जाएगी। आशीर्वाद भी मिलेगा।


पति/पत्नीः पति-पत्नी का रिश्ता ऐसा होता है, जो एक-दूसरे की सभी बातें समझते हैं। दोनों ही जीवन पथ के दो पहिए हैं। पति-पत्नी एक दूसरे को एक दो या नहीं पूरे शरीर पर कहीं भी रंग लगाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन बड़ों का ख्याल रखते हुए।

बड़ा भाईः छोटे भाइयों को बढ़े भाई के मस्तिष्क पर तिलक लगाकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। साथ में गले भी मिलें तो खुशियां बढ़ेंगी।


छोटा भाईः यदि आप अपने छोटे भाई को रंग लगाने जा रहे हैं तो उसकी भुजाओं को रंग दें। साथ में सर पर हाथ रखकर खुश रहने का आशीर्वाद भी दें।

बड़ी बहनः बड़ी बहन के हाथ और पीठ पर रंग लगा सकते हैं। रंग लगाने से पहले आशीर्वाद जरूर ले लें।

छोटी बहनः अपनी छोटी बहन के गालों पर स्नेह से लाल रंग लगाएं। वह खुश होगी। साथ में यदि वह भी आपको रंग लगाती है तो विरोध न करें। अपना गाल उसके सामने कर दें। खुशी का वातावरण बन जाएगा।

भाभी/देवर: भाभी और देवर का रिश्ता बड़ा ही पवित्र होता है। अपने हाथों से स्नेह के साथ हाथ और पैर रंग सकते हैं। यदि आप ननद और देवरानी हैं तो फिर क्या डरना, पूरा शरीर ही रंग सकती हैं। घर में हंसी-खुशी के साथ दोस्ताना माहौल बना रहेगा। 

छोटी भाभीः यदि छोटी भाभी को रंग लगाने जा रहे हैं तो सर से शुरू करें और कंधे पर भी रंग डाल सकते हैं। यदि रिश्ते में आप ननद हैं तो पूरे शरीर को रंग सकती हैं।

चाचा/चाचीः आप अपने चाचा और चाची को रंग लगाने जा रहे हैं तो सर के ऊपर पूरा ही रंग उड़ेल दें। रिश्ते में खटास नहीं आएगी।




साला और उसकी पत्नीः यदि आप अपने साले और उसकी पत्नी को रंग लगाने जा रहे हैं तो फिर डरने की जरूरत नहीं। दोनों को ही पूरी तरह से रंग दें। साली को भी परी तरह से रंग सकते हैं।

ताई/ताऊः आप पिता के बड़े भाई और उनकी पत्नी को रंग लगाने जा रहे हैं तो उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेने के बाद माथे पर तिलक जरूर कर दें। आशीर्वाद मिलेगा।


मामा/मामीः यही मौका होता है, जब साल में एक बार पकड़ाई में आने पर मामा और मामी को पूरा रंग देना चाहिए।

बुआ/फूफाः इन्हें दिल खोलकर रंग लगाना चाहिए। क्योंकि यह भी बार-बार नहीं मिलते हैं।

मौसी/मौसाजीः इन्हें रंग लगाने से पहले संकोच करते हुए रंग लगाना चाहिए। 

पड़ोसीः पड़ोसियों को सूखा रंग लगाना चाहिए, साथ में इत्र लगाएंगे तो आपसे मधुर संबंध रखेंगे।

मित्रः दोस्तों के बीच तो सारी मर्यादाएं भूलकर रंग लगाया जा सकता है।

बॉसः दफ्तर में अपने बॉस के माथे पर सिर्फ तिलक लगाएं, ज्यादा लगाएंगे तो हो जाएगी गड़बड़।

बॉस की पत्नीः अपने बॉस के घर जा रहे हैं तो ध्यान रखें, बॉस की पत्नी के हाथ में रंग का पैकेट थमाकर नमस्ते करें और चले जाएं। 

अनजाने व्यक्तियों कोः सामाजिक मर्यादा और शिष्टाचार का ध्यान रखते हुए रंग लगाना चाहिए।

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