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स्कूल हो या कॉलेज पूरे साल बनी रही शिक्षकों की कमी

स्कूल हो या कॉलेज शिक्षकों की कमी से पूरे साल जूझते दिखे। स्कूलों में संविदा शिक्षकों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती नहीं हो सकी। 

भोपालDec 29, 2016 / 12:55 pm

sanjana kumar

Rewa higher education

Rewa higher education

भोपाल। यह साल शिक्षा के क्षेत्र में खास उपलब्धि हासिल नहीं कर सका। स्कूल हो या कॉलेज शिक्षकों की कमी से पूरे साल जूझते दिखे। स्कूलों में संविदा शिक्षकों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती नहीं हो सकी। 

तकनीकी शिक्षा विभाग विवादों और प्रस्तावों के कारण चर्चा में रहा। जबलपुर और उज्जैन में दो नए तकनीकी विश्वविद्यालय खोलने को प्रशासकीय अनुमति जरूर मिली। वहीं प्राइवेट कोचिंग इंस्टीट्यूशन एक्ट बनाने की पहल विभाग हुई है।

शिक्षक अब राष्ट्रनिर्माता 
सितंबर 2016 : स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू करने की घोषणा की है। शिक्षक भी ड्रेस में रहेंगे। इन्हें नेम प्लेट भी लगानी होगी। इसके अलावा शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता नाम दिया गया है। स्टूडेंट्स को अन्य वर्ष की तुलना में इस साल 54 करोड़ रुपए के लैपटाप बांटे गए। 

सेमेस्टर सिस्टम
सितंबर 2016 : स्नातक स्तर पर संचालित सेमेस्टर सिस्टम को बंद करने का निर्णय लिया गया। नाटकीय अंदाज में मंत्री जयभान सिंह पवैया ने इसका एेलान किया। 


अभाविप के आंदोलन के बी पहुंच कर मंत्री ने सेमेस्टर सिस्टम को बंद करने का एेलान किया। हालांकि, 2008 में शुरू सिस्टम के अनुरूप खुद को ढालकर विवि पटरी पर आ रहे हैं।

हिंदी में इंजीनियरिंग
जुलाई 2016 : अटलबिहारी वाजपेयी हिंदी विवि ने आधा दर्जन छात्रों के साथ हिंदी माध्यम में इंजीनियरिंग कोर्स की पढ़ाई शुरू करा दी है। वहीं विभाग ने मेडिकल की पढ़ाई भी हिंदी में कराने के लिए स्टडी मटेरियल तैयार कर लिया है। 

फीस रेगुलेशन एक्ट
दिसंबर 2016 : प्रदेश में गैर-व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने वाले निजी कॉलेजों की फीस सरकारी व्यवस्था के तहत होने के प्रस्ताव पर सहमति बनी है। राज्यपाल की विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

इस प्रस्ताव के अनुसार रेगुलेशन एक्ट तैयार होगा। इससे कॉलेज मनमर्जी की फीस नहीं वसूल सकेंगे। बीए, बीएससी जैसे कोर्स की फीस विश्वविद्यालय और शासन के दखल के बाद तय होगी। 

जांच रिपोर्ट धरी रह गई 
प्रदेश के अधिकतर विश्वविद्यालयों में पूरा साल कुलपति और रजिस्ट्रार के बीच होने वाले विवादों में गुजर गया। राजधानी के आरजीपीवी, बीयू में भी यह झगड़े देखे गए। 

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रजिस्ट्रार द्वारा शासन के नियमों के तहत विभिन्न निर्णयों पर लगाई गईं आपत्तियां कुलपतियों को रास नहीं आईं, लड़ाई प्रदेश सरकार से लेकर राजभवन तक पहुंची। इससे माहौल गड़बड़ाया।

चर्चा में रहा मैनिट
अप्रैल 2016 : मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के डायरेक्टर डॉ. अप्पू कुट्टन केके को एमएचआरडी ने कार्यकाल से पहले ही हटाकर वीएनआईटी के डायरेक्टर डॉ. नरेंद्र चौधरी को चार्ज दे दिया। 


जुलाई में गल्र्स हॉस्टल में शाट्र्स और मिनी स्कर्ट पर पाबंदी का मामला चर्चित रहा। स्टूडेंट ने इसे लिबर्टी और फ्रीडम के खिलाफ बताते हुए मोर्चा खोला। बाद में आदेश को वापस ले लिया। 

एक्सपर्ट व्यू

प्रदेश में शिक्षा के हालात कुछ ठीक नहीं हैं, क्योंकि स्कूल और कॉलेजों में शिक्षक ही नहीं हैं। योजनाएं तो आती-जाती रहती है। पॉलिटिशयंस मजबूत निर्णय नहीं ले रहे हैं वहीं ब्यूरोक्रेट्स सिस्टम को कंट्रोल करना चाहते हैं। जरूरत इस बात की है कि एजुकेशन के एक्सपर्ट पर भरोसा करना होगा। इंस्टीट्यूशंस का माहौल सुधारना होगा, ताकि स्टूडेंट्स को उसका लाभ मिल सके। 
-अरुण गुर्टू, पूर्व कुलपति

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