भोपाल। कूलिंग सिस्टम, एक टन का दरवाजा, एक जमाने में भोपाल की सबसे ज्यादा क्षेत्रफल में बनी पहली इमारत, दुनिया के बेस्ट प्लेसेज में से एक…और एक दो नहीं, बल्कि कई देशों की वास्तुशिल्प कला इसके निर्माण की खासियत हैं। ऐसी कई और भी खास बाते हैं ताजमहल पैलेस की जो इसे हेरिटेज की दुनिया में बेशकीमती बनाती हैं…आप भी जानें
* बेगम ने बुरी नजर से बचाने के लिए महल के मुख्य द्वार पर बड़ा शीशा लगवाया था, जिसकी चमक के कारण लोग ताजमहल को नजर भर कर देख तक नहीं पाते थे।
* इतिहासकार डॉ. फारूख सिद्दिकी बताते हैं कि ताजमहल करीब 17 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है।
* इसका निर्माण वर्ष 1871 में शुरू हुआ और 13 साल के लंबे वक्त के बाद 1884 में पूरा हुआ था।
* डॉ. सिद्दिकी बताते हैं कि सरकारी रिकार्ड के अनुसार उस दौरान इसके निर्माण के लिए बेगम शाहजहां ने 30 लाख रुपए खर्च किए थे।
* महल बनने के बाद तीन साल तब नवाब ने ‘जश्न-ए-ताजमहल’ कार्यक्रम का का आयोजन किया था।
ताजमहल की ये खासियतें जानकर चौंक जाएंगे आप
* इतिहासकार बताते हैं कि ये ताजमहल 1868-1901 में शासक रहीं नवाब बेगम शाहजहां ने बनवाया था।
* ताजमहल में ब्रिटिश, फ्रेंच, मुगल, अरेबिक और इंडियन आर्किटेक्चर शैली साफ नजर आती है।
* 17 एकड़ में फैले ताजमहल के मुख्य दरवाजे का वजन लगभग 1 टन है।
* इतिहासकार सैयद अख्तर हुसैन बताते हैं कि किसी भी बड़े हमले से बचने के लिए दरवाजे को ऐसे डिजाइन किया गया था कि सेना सीधे अंदर न आ सके।
* इस गेट के ऊपर सुरक्षा की दृष्टि से लोहे की कीलें लगाई गई थीं।
* कहा जाता है कि बाहरी लोगों से ताज महल की खूबसूरती को नजर न लग जाए इसलिए बेगम ने पूर्वी गेट के ऊपर एक बड़ा शीशा लगवा दिया था।
* सूर्य की रोशनी इस शीशे पर पड़ती थी और चकाचौंध की वजह से लोग ताज महल का दीदार नहीं करवा पाते थे। माना जाता है कि ये शीशा ताजमहल को बुरी नजर से बचाने के लिए लगवाया गया था।
ताजमहल पैलेस में सेविकाओं के साथ बेगम सुल्तान शाहजहां का पोटे्रट।
* महल के अंदर 120 कमरे और 8 बड़े हॉल हैं।
* नवाबी दौर में इन हॉल में बेगम और उनकी सहेलियों के लिए विशेष म्यूजिकल प्रोग्राम ऑर्गनाइज किए जाते थे।
* सभी कमरों में नक्काशीदार फर्नीचर और अरबी-अफगानी डिजाइन के कालीन बिछाए गए थे। महल के अंदर के एक हिस्से में शीश महल तैयार किया गया।
* रंगीन कांचों से बने इस कमरे में बेगम अपने शौहर के साथ वक्त बिताया करतीं थीं। हालांकि समय के साथ-साथ शीश महल के शीशे भी दरकने लगे हैं।
* इसकी मीनारों में कूलिंग सिस्टम था। गर्मियों के दिनों में ताजमहल में ठंडक का अहसास बना रहे इसके लिए ताजमहल की मीनारों में छोटे-छोटे छेद किए गए थे। जिनमें थोड़े-थोड़े अंतराल से पानी बहता रहता था।
* ताजमहल का ये कूलिंग सिस्टम अंडरग्राउंड वाटर रिसोर्स पर बेस्ड था।
* बेगम शाहजहां ने ताजमहल में ये कूलिंग सिस्टम इस्लाम नगर के गोंद महल से प्रेरित होकर करवाया था।
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