बूढ़ा पुष्कर फीडर के निर्माण में अब खातेदारों की काश्तकारी जमीन बाधक बन गई है। किसानों को उनकी जमीन के बदले जमीन या मुआवजा नहीं मिलने से उन्होंने फीडर निर्माण के लिए अपनी भूमि समर्पित नहीं की है।
ऐसे में फीडर का निर्माण कार्य निर्धारित अवधि दिसम्बर तक पूरा होना मुश्किल दिख रहा है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बूढ़ा पुष्कर के महत्व को देखते हुए वर्ष 2006-07 में बूढ़ा पुष्कर का जीर्णोंद्धार शुरू कराया था। बूढ़ा पुष्कर में बरसाती पानी की आवक के लिए फीडर निर्माण की योजना बनाई गई थी।
दोबारा सत्ता में आने पर सरकार ने फीडर निर्माण के लिए करीब आठ करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत किया है। मुख्यमत्री 13 जून को 6 करोड़ 43 लाख 59 हजार रुपए की लागत से बनने वाले बूढ़ा पुष्कर के फीडर निर्माण का शिलान्यास करते हुए अधिकारियों को समयबद्ध काम पूरा करने के निर्देश दिए थे। विभाग को दिसम्बर 2015 तक फीडर निर्माण का कार्य पूरा करना है। अब तक 60 प्रतिशत काम ही हुआ है।
आगामी 39 दिनों करीब 40 प्रतिशत काम करना है, जबकि चारागाह 1.1 हैक्टेयर चरागाह भूमि, .99 हैक्टेयर वन भूमि .59 हैक्टेयर एडीए की भूमि का कब्जा जल संसाधन विभाग को मिल गया है, लेकिन फीडर निर्माण के लिए होकरा और कानस के काश्तकारों की कुल 1.06 हैक्टेयर भूमि को अवाप्त किया जाना है।
खातेदारी जमीन का नहीं मिला कब्जा सरकार ने खातेदारों को भूमि के बदले भूमि देने का निर्णय किया है, लेकिन प्रशासन और अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से अब तक काश्तकारों को उनकी भूमि के बदले भूमि नहीं मिलने से उन्होंने फीडर निर्माण के लिए अपनी कृषि भूमि समर्पित नहीं की है। विभाग खातेदारी भूमि पर भी फीडर निर्माण का कार्य शुरू नहीं कर पा रहा है। खातेदारी जमीन का कब्जा नहीं मिलने से काम अवरुद्ध हो रहा है। विभाग के इंजीनियर्स का मानना है कि दिसम्बर तक काम पूरा होना संभव नहीं होगा।
खातेदारों को जमीन के बदले जमीन देने के लिए एडीए को प्रस्ताव दिया है। एडीए ने सरकार से मंजूरी मांगी है। सरकार से मंजूरी मिलते ही खातेदारों की जमीन अवाप्त कर उन्हें जमीन के बदले जमीन देंगे।
हीरालाल मीणा, उपखंड अधिकारी अजमेर
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