भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में चल रही गड़बडि़यों की शिकायत प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंची है। पीएमओ द्वारा मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी गई है। कुलपति प्रो. पीयूष त्रिवेदी को लेकर हुई शिकायत में जांच की मांग की गई है।
शिकायत में कहा गया है कि कुलपति त्रिवेदी के संरक्षण में विश्वविद्यालय में बड़े घोटाले चल रहे हैं। त्रिवेदी का दो बार कुलपति बनना सवालों के घेरे में है। इसलिए इसकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की गई है।
त्रिवेदी का कार्यकाल विवादों से भरा हुआ है। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई है। इसके चलते कर्मचारियों द्वारा ही कुलपति की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई है। इस संबंध में कुलपति प्रो. पीयूष त्रिवेदी से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
यह भी लगे आरोप
भारत सरकार से विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी विभाग से प्रोजेक्ट के तौर पर करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट आरजीपीवी को दिए गए लेकिन प्रोजेक्ट पर काम ही नहीं हुआ है। कुलपति के खास कहे जाने वाले विवि के शिक्षकों और अधिकारियों ने विश्वविद्यालय की जमीन अपने नाम कर ली है। करीब 300 करोड़ों रुपए निर्माण कार्य कराया जा रहा है। इसका निर्माण भी घटिया स्तर का है। रेट बाजार दर से कई कई गुना अधिक है। ‘
प्रोफेसर बनना संदेह के घेरे में
प्रो. त्रिवेदी का प्रोफेसर बनना भी संदेह के घेरे में है। इसलिए इसकी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है। वहीं आरोप हैं कि जिस विषय में प्रोफेसर बने हैं उस विषय में इनकी पीएचडी भी नहीं है। वर्ष 2007 में प्रोफेसर बने और पांच वार्षिक इंक्रीमेंट भी दिए गए। सवाल खड़े किए गए हैं कि जो प्रोफेसर नियम विरुद्ध तरीके से बना हो वह कुलपति कैसे बन सकता है।
नई नियुक्ति होने तक त्रिवेदी ही रहेंगे कुलपति
आरजीपीवी में विवादास्पद कुलपति प्रो. पीयूष त्रिवेदी का कार्यकाल पूरा हो गया है। लेकिन नए कुलपति के आदेश नहीं होने के कारण वे अभी भी कुलपति बने हुए हैं। जब तक राज्यपाल द्वारा नए कुलपति की घोषणा नहीं की जाती वे कुलपति बने रहेंगे। उधर, त्रिवेदी को लेकर एक बार फिर शिकायतें राजभवन पहुंचने लगी हैं। कुलपति सर्च कमेटी के अध्यक्ष प्रो. आईएस चौहान का कहना है कि उन्होंने अपना काम कर दिया है। अब राज्यपाल जब चाहें नए कुलपति के आदेश कर सकते हैं। वहीं राज्यपाल प्रो. ओपी कोहली जनवरी 2017 में लौटेंगे। आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. डीपी सिंह का कहना है कि यदि प्रो. त्रिवेदी के पास ही प्रभार रहता है तो उन्हें अनियममितताओं को छिपाने और दस्तावेजों में हेराफेरी का मौका मिलेगा।
रेक्टर की हो जांच
शिकायतकर्ता ने आरजीपीवी में रेक्टर की नियुक्ति को भी नियम विरुद्ध बताया है। इसके अलावा रेक्टर के द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से काम किए जा रहे हैं। इसमें आर्थिक अनियमितताएं शामिल हैं। रेक्टर की नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की मांग भी की गई है।
लोकायुक्त में जांच और घर पड़ा छापा
कुलपति प्रो. त्रिवेदी की कई शिकायतें लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में हैं। ऑडिट रिपोर्ट में गड़बड़ी उजागर होने के बाद भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। लोकायुक्त का छापा भी घर पर पड़ चुका है।
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