भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैशलेस पॉलिसी 50 दिन बाद भी धरातल पर सफल नहीं दिखाई दे रही है, कारण जागरुकता की कमी, अशिक्षा और पिछड़ापन है। मध्यप्रदेश के एक गांव के जिम्मेदारों ने यह साबित कर दिया कि जहां चाह, वहां राह होती है। पर कैशलेस हुए इस गांव में आम लोग अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए तरस गए हैं। जानें कैशलेस की ये छोटी सी दुनिया कितनी परेशान…
केस 1
ग्रामीणों को ऐसी भी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है कि दैनिक चीजों के लिए दुकानदार कैशलेस ऑफर को ठुकराकर उनसे कैश मांग रहे है।
केस 2
कुछ किसानों को उनकी फसल बेचने के एवज में व्यापारियों ने भुगतान के रूप में चेक दिए। लेकिन अब बैंक में भी कैशलेस सिस्टम शुरू हुआ तो चैक नहीं भुन सका। ऐसे में अपनी दैनिक जरूरतें तक पूरी नहीं कर पा रहे।
मध्यप्रदेश के इस गांव को मुख्यमंत्री शिवराज ने प्रदेश का पहला कैशलेस गांव घोषित किया है। इस गांव का नाम है बड़झिरी। भोपाल से 23 किलोमीटर दूर इस गांव की आबादी दो हजार है। जानें कैशलेस गांव के ये फैक्ट…
* 20 दिसंबर को वित्तमंत्री जयंत मलैया ने विशेष रूप से आयोजित एक कार्यक्रम में इस गांव को कैशलेस गांव घोषित किया गया था।
* यहां लोगों के बैंकों में खाते तो हैं, लेकिन उनमें कैश नहीं है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने इन्हें रुपे कार्ड दिया है।
* इस गांव के ज्यादातर किसान पूरी तरह से सरकार की ओर से मिलने वाली आर्थिक सहायता पर निर्भर हैं। जबकि फसलों को मंडी में बेचकर आय जुटाने वालों की संख्या न के बराबर है।
* जबसे नोटबंदी आंदोलन शुरू हुआ है, तब से इन ग्रामीणों को सरकार की ओर चेक के जरिए भुगतान किया गया। जिसे भुनाने के लिए वे इंतजार कर रहे हैं।
* ग्रामीणों की परेशानी दूर करने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा ने डिजिटल इकॉनोमी के तहत ई-लॉबी स्टार्ट की गई। ये कियोस्क सेंटर इन ग्रामीणों की नकदी की समस्या को खत्म कर दिया। हालांकि ग्रामीण इन सुविधाओं के बारे में कुछ नहीं जानते।
* ग्रामीणो को डेबिट कार्ड दिए गए हैं। स्वाइप मशीनें दी गई हैं, लेकिन वे इनका यूज कम ही करते हैं।
* खास तौर पर गांव के बुजुर्गों के लिए जो कियोस्क सेंटर स्थापित किए गए। लेकिन यहां के लोगों को न तो इन सुविधाओं
* आधे से ज्यादा व्यापारियों ने कार्ड स्वाइप मशीनें दी हैं। उन्हीं से भुगतान किया जा रहा है।
* 1500 निवासियों को रुपे कार्ड दिया गया है।
* लोगों को परेशानी आ रही है कि अपना उत्पादन सेल करने के बाद यहां कि किसानों को चेक दिया जा रहा है। लेकिन चेक हाथ में आने के कारण वे घरेलू सामान नहीं खरीद पा रहे हैं।
* उन्हें ये भी बताया गया है कि बैंक में कैश की कमी के बारे में बताया गया है। बैंक के अधिकारियों का कहना है कि यहां के लोग कैशलेस होने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे तो अब बैंक क्या करें।
* वित्त मंत्री जयंत मलैया के मुताबिक यहां कैशलेस होने के लिए जिन मूलभूत सुविधाओं की जरूरत है, वे सभी यहां उपलब्ध हैं।
Hindi News / Bhopal / ये है MP का पहला कैशलेस गांव, यहां बैंक अकाउंट तो है, पर उनमें पैसा नहीं