गिरीश उपाध्याय@भोपाल। केंद्र सरकार के नोटबंदी के बाद हर कहीं कैशलेस को बढ़ावा दिया जा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग ने भी कॉलेजों में कैशलेस व्यवस्था लागू कर दी है। एेसे में कई कॉलेजों ने नकद फीस लेना बंद कर दिया है। कॉलेजों में ट्रांसफर सर्टिफिकेट के लिए 10 रुपए और कैरेक्टर सर्टिफिकेट के लिए पांच रुपए फीस तय है।
खास बात यह कि यह राशि भी कैशलेस तरीके से मांगी जा रही है। इस व्यवस्था में विद्यार्थियों का 10 रुपए का ट्रांसफर सर्टिफिकेट 45 रुपए में पड़ रहा है, क्योंकि बैंकों द्वारा डिमांड जो बेरोजगार विद्यार्थियों के जेब पर भारी पड़ रहा है।
दरअसल, पिछले दिनों ट्रांसफर और कैरेक्टर सर्टिफिकेट लेने राजधानी के मोतीलाल विज्ञान आदर्श महाविद्यालय (एमवीएम) में कुछ छात्र पहुंचे, जहां उनसे नकद राशि लेने से इनकार कर दिया गया। कॉलेज प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों से डीमांड ड्रॉफ्ट लाने को कहा जा रहा है। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि राज्य शासन ने कैशलेस व्यवस्था के लिए स्पष्ट निर्देश दे रखे हैं।
इधर, बैंक पहुंच रहे विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ रहा है। कारण इन दिनों बैंक में सामान्य दिनों की अपेक्षा इंतजार भी करना पड़ रहा है। विद्यािर्थयों का कहना है कि जितनी फीस सर्टिफिकेट के लिए नहीं देना पड़ रहा, उससे अधिक बैंक में डीडी बनवाने की फीस देनी पड़ रही है। विद्यार्थियों को इसके लिए करीब 35 रुपए अतिरिक्त भुगतान बैंक को करना पड़ रहा है। कॉलेजों में चेक भी मांग जा रहे हैं, लेकिन हर विद्यार्थी चेक का इस्तेमाल नहीं करता है।
बिना तैयारी के कैशलेस
शासन ने कैशलेस लागू कर दिया है, लेकिन इसके लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं हैं। कई कॉलेजों में अभी तक डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने के लिए स्वैप मशीने नहीं लगी हैं। मशीन लगाने के लिए कॉलेजों ने बैंक में आवेदन कर दिया है, लेकिन बैंक अभी उनकी डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी ओर कॉलेज इस दबाव में भी हैं कि यदि यह व्यवस्था लागू नहीं की जाती है, तो उन पर कार्रवाई हो सकती है।
मुझे एमवीएम से कैरेक्टर सर्टिफिकेट निकलवाना है। इसके लिए पांच रुपए मांगे जा रहे हैं, वो भी कैशलेस तरीके से। पांच रुपए के भुगतान के लिए पहले बैंक जाकर डीडी बनवाना पड़ेगा। इसके बाद मुझे कैरेक्टर सर्टिफिकेट देने की बात कर रहे हैं। छोटी राशि के भुगतान तो नकद लिए जाने चाहिए।
राहुल भावसार, पूर्व छात्र, एमवीएम
कुछ बच्चे आए थे। उन्हें शासन द्वारा हाल ही में लागू की गई कैशलेस व्यवस्था की जानकारी दी गई। स्वैप मशीन के लिए बैंक में आवेदन किया है। हालांकि, मशीन लगने के बाद दिक्कत नहीं होगी। जब तक डीडी या फिर चेक के माध्यम से ही फीस ली जा सकेगी।
डॉ. वीके श्रीवास्तव, प्रभारी प्राचार्य
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