भोपाल। 2-3 दिसंबर 1984 की वो रात भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड (यूसीसी) की फैक्ट्री से कई टन जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट लीक हुई थी। जिससे करीब 30000 लोग मौत की नींद सोए थे, तो पांच लाख से ज्यादा लोग गैस से प्रभावित हुए थे। आज भी भोपाल की कई पीढिय़ां इसका दंश झेल रही हैं, लेकिन भोपाल के वर्तमान और भविष्य को खत्म करने वाली उस त्रासदी के जिम्मेदार आज भी गिरफ्त से दूर हैं। अदालतों में पेशी और तारीख पर तारीख के दौर गुजरते जा रहे हैं, पर वर्तमान में यूसीसी के मालिक को मिल रहा संरक्षण जारी है। इसे देखते हुए ही 15 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर की वेबसाइट पर एक ऑनलाइन पीटिशन के जरिए इस संरक्षण को हटाने और अपराधियों को अदालत में पेश करने की मांग की गई है। जिस पर एक लाख लाइक मिल चुके हैं, अब ओबामा राष्ट्रपति को हर हाल में मामले पर जवाबी कार्रवाई करनी होगी…आप भी जानें इस प्रक्रिया का सच…
व्हाइट हाउस को देना होगा जवाब
इसे देखते हुए ही 15 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर की वेबसाइट पर एक ऑनलाइन पीटिशन के जरिए इस संरक्षण को हटाने और अपराधियों को अदालत में पेश करने की मांग की गई है।इस पर अब तक 1,02,0000 हस्ताक्षर हो चुके हैं। एक लाख हस्ताार होने के बाद व्हाइट हाउस(राष्ट्रपति कार्यालय) को जवाब देना ही होता है। इस याचिका को ‘अंतरराष्ट्रीय कानून मानिए! डाऊ कैमिकल को भोपाल में हुए कॉर्पोरेट अपराधों में जवाबदेही से बचाना बंद कीजिए। यूनियन कार्बाइड को तीन दशक से जो संरक्षण मिल रहा है, वह अब बंद होना चाहिए। अब इसका मालिक डाऊ कैमिकल है। हम अमेरिकी सरकार से मांग करते हैं कि वह संधि और अंरराष्ट्रीय कानून के प्रति अपना वचन पूरा करें। डाऊ कैमिकल को तत्काल प्रभाव से नोटिस जारी करें कि वह 13 जुलाई को अदालत में पेश हो।’
13 जुलाई को होना होगा पेश
ओबामा प्रशासन डाऊ केमिकल को भोपाल गैस त्रासदी की जवाबदेही से बचाना अब बंद करना होगा। उसे 13 जुलाई को अदालत के समक्ष पेश किए जाने की अपील की गई थी। आपको बता दें कि इस याचिका में कहा गया है कि ‘भारत ने यूसीसी पर नरसंहार का आरोप लगाया था। लेकिन यूसीसी ने कोर्ट में आने से ही इनकार कर दिया था। यूसीसी को 2001 मे डाऊ केमिकल ने खरीद लिया था लेकिन यूसीसी को आरोपों का सामना करनके के लिए कोर्ट में आने ही नहीं दिया।’
न्याय विभाग ने नहीं दिए जवाब
याचिका में कहा गया है कि ‘भारत ने आपसी कानूनी सहायता संधि के तहत अमेरिकी न्याय विभाग को चार नोटिस जारी किए। इन नोटिस के अनुसार डाऊ केमिकल को समन कर यूसीसी के बारे में जानकारी लेने को कहा गया था। स्थिति यह रही कि विभाग ने हर नोटिस को या तो नजरअंदाज किया या फिर उसमें रोड़े अटकाए। इसी न्याय विभाग ने डीपीवॉटर होराइजन के लिए बीपी पर 400 करोड़ डॉलर यानी करीब 26,700 करोड़ रुपए’ का आपराधिक जुर्माना लगाया था।
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