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भोपाल

90% कॉलेज स्टूडेन्ट्स कर रहे स्पर्म डोनेट, ‘गुड स्पर्म’ हुए तो कमाई 2 हजार

मध्यप्रदेश के ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स बॉलीवुड मूवी ‘विकी डोनर’ की तर्ज पर एक्स्ट्रा पॉकेट मनी के लिए स्पर्म डोनेट कर रहे हैं। हालांकि मध्यप्रदेश में अभी कोई स्पर्म बैंक नहीं है।

भोपालSep 13, 2016 / 03:15 pm

sanjana kumar

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भोपाल। मध्यप्रदेश के ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स बॉलीवुड मूवी ‘विकी डोनर’ की तर्ज पर एक्स्ट्रा पॉकेट मनी के लिए स्पर्म डोनेट कर रहे हैं। हालांकि मध्यप्रदेश में अभी कोई स्पर्म बैंक नहीं है।

शहर के इन्फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट के मुताबिक डॉक्टर्स के पास हर दिन 5-9 कॉल आते हैं। ये सभी कॉल्स स्पर्म डोनेशन से संबंधित जानकारी पाने वाले कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स के होते हैं।

एक बार डोनेशन के 2000 रुपए
एक्सपर्ट कहते हैं कि एक बार स्पर्म डोनेट करने के लिए 2000 रुपए या उससे ज्यादा तक चुकाए जाते हैं। हालांकि यह पैसा शहर के हिसाब से कम या ज्यादा हो सकता है। 

भोपाल में नहीं स्पर्म बैंक
शहर के ज्यादातर डॉक्टर्स उनके पास आने वाले भोपाल के कॉलेजे स्टूडेंट्स के कॉल्स को मुंबई और दिल्ली के स्पर्म डोनेट क्लिनिक पर रेफर करते हैं। इसका कारण यह है कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में एक भी स्पर्म बैंक नहीं है। वहीं जो प्रदेश में ही कहीं स्पर्म डोनेट कर रहे हैं।




इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट और गायनोकोलॉजिस्ट एक्सपर्ट कहती हैं कि वर्तमान में 90 फीसदी कॉलेज किड्स स्पर्म डोनर हैं। जबकि पिछले पांच साल का रिकॉर्ड देखें तो इस तरह के मामले केवल परिवार तक ही सीमित थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब लोग खुलकर इस बारे में बात करते हैं। 

इन बातों का रखा जाता है ध्यान
* एक्सपर्ट कहते हैं कि भले ही पूरे प्रदेश के 90 फीसदी कॉलेजेस बॉयज स्पर्म डोनेट कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके लिए किसी जांच की आवश्यकता नहीं होती।
* स्पर्म डोनेशन से पहले डॉनर का फैमिली बैकग्राउंड जाना जाता है।
* ब्लड टेस्ट किया जाता है।
* डॉनर कहीं एचआईवी से पीडि़त तो नहीं है।
* कहीं उसे हेपेटाइटिस बी या अन्य ब्लड संबंधी या संक्रामक रोग तो नहीं है।

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* इन सभी टेस्ट में कम से कम 6 महीने का समय लगता है। उसके बाद ही कोई स्पर्म डोनेट कर सकता है।
* स्पर्म की जांच की जाती है।

अन्य फैक्ट:
एक्सपर्ट कहते हैं कि विकी डोनर मूवी के बाद बड़े शहरों में ये ट्रेंड तेजी से आया। आज ज्यादातर बॉयज एक्सट्रा पॉकेटमनी के लिए यह तरीका अपना रहे हैं।

* जबकि एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि स्पर्म डोनेट करने के लिए सही उम्र 21 से 45 वर्ष होना जरूरी है। हेल्दी स्पर्म की यही उम्र है। 

* एक्सपर्ट ये भी बताते हैं कि महानगरों में भले ही एक सिंगल वीमेन इस तरीके से मां बनने की चाहत रख रही है, वहीं जिन दंपतियों को संतान नहीं है, वे इस तरह डोनेट किए गए स्पर्म के माध्यम से मां बनने का सपना पूरा कर रही हैं।

* मध्यप्रदेश में स्पर्म डोनर्स की संख्या काफी ज्यादा है। लेकिन इस पद्धति को अपनाने में प्रदेश आज भी रूढि़वादी ही बना हुआ है।

* इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट तथा गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर कपूर कहती हैं कि हमारे पास आने वाली बांझ दंपतियों को आज भी बहुत रिक्वेस्ट करनी होती है, तब भी वे बमुश्किल इसके लिए तैयार हो पाते हैं।

* भ्रूण वैज्ञानिक और चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर रणधीर सिंह कहते हैं कि उनके पास एक साल में 2000 से ज्यादा कॉल्स और ई मेल आते हैं। इनमें ज्यादातर कॉलेज गॉइंग स्टूडेंट्स होते हैं। उनके पूछने पर मैं उन्हें बताता हूं कि उन्हें स्पर्म कहां डोनेट करने हैं। इसके लिए उन्हें मुंबई और दिल्ली के क्लिनिक्स पर संपर्क करना होता है। 

* हालांकि रणधीर का मानना है कि कॉलेज के स्टूडेंट्स को इस तरह स्पर्म डोनेट नहीं करना चाहिए। 

* उनका कहना है कि गुड स्पर्म के लिए 21-45 साल की उम्र ही सही होती है।

* वहीं अच्छे क्लिनिक भी ऐसे ही व्यक्ति को स्पर्म डोनेट करने की परमिशन देते हैं, जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हों या फिर उसे करीब 3 साल की संतान हो। इसके साथ ही वह हर तरह से हेल्दी हो।

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