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अंग्रेजी सेना का टैंकर चलाते थे 125 साल के मेजर, आज भूखों मर रहा है पूरा परिवार

यूपी के बांदा में एक फौजी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। फौजी की उम्र करीब 125 वर्ष बताई जा रही है। यह ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अंग्रेजी सेना का टैंकर चलाया करते थे।

बांदाJul 09, 2017 / 10:21 am

नितिन श्रीवास्तव

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बांदा. यूपी के बांदा में एक फौजी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। फौजी की उम्र करीब 125 वर्ष बताई जा रही है। यह ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अंग्रेजी सेना का टैंकर चलाया करते थे। उन्होंने सेकेंड वर्ल्ड वार में भी भाग लिया था। लेकिन आज यह अपनी माली हालत से जूझ रहे हैं। उनके परिवार में 6 लड़के हैं, जिनमें से 3 की मौत हो चुकी है। जबकि अन्य 3 दूसरे के खेतों में मजदूरी का काम करते हैं। संपत्ति के नाम पर इनके पास महज एक टूटी-फूटी झोपड़ी है। जिसमें ना खाने का सामान है, ना पहनने को ठीक-ठाक कपड़े। तन्हाई और गुमनामी में अपनी जिंदगी काट रहे इस फौजी को इलाके में मेजर के नाम से जाना जाता है और इनका असली नाम गोपाल सिंह है।


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भुखमरी की कगार पर फौजी का परिवार

बांदा जिले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में यमुना नदी के किनारे जौहरपुर गांव है। यहीं के रहने वाले गोपाल सिंह गुमनामी और मुफलिसी के अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। गोपाल जब 40 वर्ष की उम्र के थे तभी उन्होंने ब्रिटिश इंडियन आर्मी में रहते हुए द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया। ये सेना के टैंकर चलाने की जिम्मेदारी संभालते थे। आज 125 वर्ष की उम्र में जब यह इतने सावन देख चुके हैं, आजाद भारत में इनको अब तक न राशन कार्ड की सुविधा मिली, न कोई भी अन्य सरकारी सहायता। गुमनामी के अंधेरे में यह एक टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। यहां तक कि प्रशासन को भी इनके बारे में जानकारी नहीं है। एक जमाने में इनके पास करीब 10 बीघा खेत हुआ करते थे। जो कि यमुना की कटान में बह गए। खेती और जमीन के नाम पर अब इनके पास कुछ नहीं है। इनको कोई सरकारी सहायता भी नहीं मिलती है। पूरा परिवार जिसमें करीब 8 लोग हैं, भुखमरी की कगार पर है। इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। हालाकी प्रशासन से बात करने के बाद DM ने सरकारी योजनाओं की लंबी फेहरिस्त गिनाई है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये मदद अब तक इस सैनिक तक क्यों नहीं पहुंची।


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