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प्रयागराज

उग्र हुआ आंदोलन तो 1974 जैसे ठप हो जाएंगे ट्रेनों के पहिए, रेलवे को होगा बड़ा नुकसान

रेलकर्मियों ने जुलूस निकाल दिखाया दम, दिसंबर तक मांगे पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की घोषणा

प्रयागराजNov 10, 2016 / 08:13 am

sarveshwari Mishra

Federation of All India Railway

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इलाहाबाद. ऑल इण्डिया रेलवे मेंस फेडरेशन के 92वें अधिवेशन के पहले दिन रेल कर्मचारियों ने हजारों की संख्या में जो दम मंगलवार को दिखाया। उसने लोगों को 1974 के देशव्यापी आंदोलन के नींव की याद दिला दी। अगर रेलकर्मचारियों ने देशव्यापी आंदोलन किया तो ट्रेनों के पहिए ठप हो जायेंगे। जिससे रेलवे को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।



एनसीआर में करीब 75 हजार रेल कर्मचारी सेवारत हैं। मंगलवार को कर्मचारियों का जुलूस सब रेलवे स्टेशन से पत्थर गिरिजा घर, सिविल लाइन्स होते हुए केपी कॉलेज मैदान पहुंचा तो देखने वालों के जेहन में 1974 में जॉर्ज फर्नाडीज के आंदोलन की याद ताजा हो गयी। इस दौरान लोगो के मुंह से केवल यही निकला कि अगर आंदोलन हुआ तो एक बार फिर देश के अलग अलग हिस्सों में ट्रेन खड़ी नजर आएगी। वहीं जब मंगलवार को फेडरेशन का अधिवेशन प्रारम्भ हुआ तो महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिश में परिवर्तन के लिए वक्त मांगा था। 



अभी तक फेडरेशन सरकार के फैसले का इन्तजार कर रहा है। अगर दिसम्बर बाद भी हमारी मांगे नहीं मानी गयीं तो रेलकर्मचारियों की ओर से उग्र आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि मांगों पर विचार करने के लिए वेतन विसंगतियों पर आंदोलन स्थगित हुआ था , समाप्त नहीं हुआ है। शिवगोपाल ने जिस तरह से अपनी बातें रखीं। उसे आने वाले समय में उग्र आंदोलन की सुगबुगाहत कही जा सकती है। इस आंदोलन में 75 हजार उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी ही नहीं बल्कि विभिन्न जोन के लाखों कर्मचारी भी शामिल होंगे। इसके कारण यह अब तक का सबसे बड़ा देशव्यापी आंदोनल भी हो सकता है।


15 दिनों तक जब थप हो गए थे पहिए
भारत में 1974 में सबसे बडी रेल हड़ताल तत्कालीन ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन के अध्यक्ष जॉर्ज फर्नाडीज के नेतृत्व में हुई थी। आंदोलन की मुख्य वजह नेशनल मजदूर यूनियन पदाधिकारी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस कस्टडी में मौत थी। 15 दिनों तक चले इस आंदोलन से ट्रेन के पहिए थम गये थे। सभी रेल कार्य ठप हो गए। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने हड़ताल तोड़ने के लिए लाखों लोगों को नौकरी से निकाल बाहर किया। बिजली, पानी की व्यवस्था बन्द कर दिए गए। यहां तक लाखों कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई, कई को अपनी जान भी गवानी पड़ी लेकिन हड़ताल तोड़ने में इंदिरा गांधी असफल रहीं। 15 दिनों तक चले इस हड़ताल ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया था। 

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