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सियासी हालातों में खतरे की घंटी, खजुराहो -इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी नहीं, नोटा बन सकता है लोगों की पसंद !

Lok Sabha Elections 2024 : 2019 के चुनाव में देश में 65 लाख वोटर को पसंद नहीं आया कोई प्रत्याशी

इंदौरMay 05, 2024 / 08:19 am

Ashtha Awasthi

Lok Sabha Elections 2024
Lok Sabha Elections 2024 : प्रदेश में खजुराहो और इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार के मैदान से बाहर होने के बाद मतदाताओं का नोटा, यानी इनमें से कोई नहीं के विकल्प की ओर रुझान बढ़ रहा है। इंदौर में कई क्षेत्रों में मतदाता नोटा के लिए ग्रुप बना रहे हैं। खजुराहो में दूसरे चरण में मतदान हो चुका है। चौथे चरण में इंदौर में होना है। प्रदेश की दो संसदीय सीटों पर बदले सियासी समीकरणों के बीच पत्रिका ने नोटा के आंकड़ों का विश्लेषण किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। 2019 के लोकसभा चुनाव में देश में 67.4 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसमें 65 लाख 22 हजार 772 लोगों ने नोटा को वोट दिया। यह कुल मतदान का 1.06 फीसदी था।
नोटा को सबसे ज्यादा वोट बिहार में 2 प्रतिशत तो सबसे कम मेघालय में 0.2 प्रतिशत मिले थे। इस वोट से साफ हुआ कि 65.22 लाख मतदाताओं को किसी दल का प्रत्याशी पसंद नहीं आया। वहीं, मध्यप्रदेश में भी 3.40 लाख मतदाताओं ने नोटा चुना। यहां नोटा को सबसे ज्यादा वोट अजजा आरक्षित रतलाम, शहडोल, मंडला, खरगोन सीटों पर मिला। ऐसे में इस बार देखना होगा कि प्रदेश की दोनों ही संसदीय सीटों समेत अन्य पर नोटा को कितने वोट मिले हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो पार्टियों को अब प्रत्याशियों के चयन में विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

रतलाम में मिले थे सबसे ज्यादा नोटा

लोकसभा चुनाव में मप्र में कुल 3.69 करोड़ वोट डाले गए। इनमें से 3.40 लाख वोट नोटा को मिले। यह कुल वोटों का 0.92 प्रतिशत था। नोटा को सबसे ज्यादा 2.53 प्रतिशत वोट रतलाम में मिले थे। यहां भाजपा के गुमानसिंह डामोर ने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को 90,636 वोट से हराया था। मंडला में नोटा को 2.12 प्रतिशत वोट मिले थे। सबसे कम नोटा को मुरैना में 0.18 प्रतिशत वोट मिले थे।

नोटा पर असर

चुनाव आयोग की अनुशंसा व याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2013 में नोटा (नन ऑफ दी एबव) का विकल्प मिला। पहले यह 13 देशों में था। कुछ देशों में नोटा को राइट टू रिजेक्ट का अधिकार है। नोटा को प्रत्याशी से ज्यादा वोट मिलने पर चुनाव रद्द होता है। भारत में ऐसा नहीं है। सिर्फ वोट गिने जाते हैं। नतीजों पर असर नहीं पड़ता।

मेरे पास भी नोटा के लिए फोन आ रहे

किसने क्या किया, नहीं किया, मुझे कुछ नहीं पता। लेकिन लोगों के फोन मेरे पास आ रहे हैं। वे कह रहे हैं- भाजपा को वोट नहीं दूंगा। नोटा को दूंगा। मैं समझा रही हूं। सुमित्रा महाजन. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष

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